नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर से शुरू हुई एक स्वास्थ्य चिंता अब पूरे देश में फैलती नजर आ रही है। H3N2 वायरस, जो कि इन्फ्लुएंजा A का एक उप-प्रकार है, इन दिनों तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। एक ताजा सर्वे में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा, फरीदाबाद और गाज़ियाबाद जैसे क्षेत्रों में लगभग 70 प्रतिशत घरों में कोई न कोई सदस्य वायरल बुखार, फ्लू या कोविड जैसे लक्षणों से पीड़ित पाया गया है।
क्या है H3N2 वायरस?
H3N2 इन्फ्लुएंजा वायरस का एक रूप है, जो हर साल बदलते स्वरूप के साथ सामने आता है और लोगों को बीमार करता है। यह वायरस खासतौर पर कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
शुरुआती लक्षण
H3N2 वायरस से संक्रमित व्यक्ति में आमतौर पर अचानक तेज बुखार (38-39 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक), ठंड लगना, शरीर में दर्द, थकान, मांसपेशियों में खिंचाव, सिरदर्द, गले में खराश, सूखी या लगातार खांसी और नाक बहने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
गंभीर लक्षण
कुछ मरीजों में यह वायरस अधिक गंभीर रूप ले सकता है। यदि किसी को सांस लेने में तकलीफ हो, सीने में जकड़न या दर्द महसूस हो, बुखार कई दिनों तक दवा के बाद भी न उतरे, होंठ या नाखून नीले पड़ जाएं, चक्कर आने लगें या पानी पीना भी मुश्किल हो जाए — तो यह स्थिति चिंताजनक मानी जाती है और तत्काल चिकित्सकीय मदद की जरूरत होती है।
किन लोगों को है अधिक खतरा?
H3N2 वायरस से सबसे अधिक खतरा बच्चों, बुजुर्गों (65 वर्ष से अधिक आयु), गर्भवती महिलाओं और उन लोगों को होता है जो पहले से किसी पुरानी बीमारी से ग्रसित हैं, जैसे अस्थमा, सीओपीडी, हृदय रोग या मधुमेह।
बच्चों में इस वायरस के कारण सांस संबंधी लक्षणों के अलावा उल्टी, दस्त और जी मिचलाने जैसी समस्याएं भी सामने आ रही हैं। वहीं बुजुर्गों में यह वायरस निमोनिया का कारण बन सकता है या किसी मौजूदा बीमारी को और गंभीर बना सकता है।
विशेषज्ञों की सलाह
स्वास्थ्य विशेषज्ञ लोगों से अपील कर रहे हैं कि वे भीड़भाड़ वाले स्थानों से बचें, मास्क पहनें, हाथों को बार-बार साबुन से धोएं और यदि किसी प्रकार के फ्लू जैसे लक्षण महसूस हों तो डॉक्टर से परामर्श लें। साथ ही, बिना डॉक्टर की सलाह के दवाएं लेने से बचें और संक्रमण के लक्षण दिखने पर खुद को आइसोलेट करें।
देशभर में बढ़ते H3N2 संक्रमण के मामलों ने स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है। सावधानी, समय पर जांच और उचित इलाज ही इससे बचाव का एकमात्र तरीका है। संक्रमण के शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है, इसलिए सतर्क रहना आवश्यक है।