
वॉशिंगटन/नई दिल्ली: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को एक बड़ा बयान देकर टेक दिग्गज Apple को सीधे चेतावनी दी है। ट्रंप ने कहा कि यदि iPhones अमेरिका में निर्मित नहीं किए जाते, तो Apple को 25% का टैरिफ देना होगा। उनके इस बयान के बाद Apple के शेयर प्री-मार्केट ट्रेडिंग में 2.5% गिर गए हैं, और अमेरिकी शेयर वायदा बाजार में भी गिरावट देखी गई है।
ट्रंप ने ‘Truth Social’ पर दी चेतावनी
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘Truth Social’ पर पोस्ट करते हुए लिखा,
“मैंने पहले ही Apple के CEO टिम कुक को सूचित कर दिया है कि अमेरिका में बिकने वाले iPhones का निर्माण अमेरिका में ही होना चाहिए, न कि भारत या किसी और देश में। यदि ऐसा नहीं हुआ, तो Apple को अमेरिका को कम से कम 25% टैरिफ देना होगा। इस पर ध्यान देने के लिए धन्यवाद!”
Apple की चुप्पी, उत्पादन भारत में शिफ्ट
Apple की ओर से ट्रंप के इस बयान पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। रिपोर्ट्स के अनुसार, Apple चीन के विकल्प के तौर पर भारत में अपना उत्पादन तेजी से बढ़ा रहा है। रॉयटर्स की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जून से अमेरिका में बिकने वाले अधिकांश iPhones भारत से निर्यात किए जाएंगे।
ट्रंप की ‘मेक इन अमेरिका’ नीति
ट्रंप का यह बयान उनके पुराने रुख की ही पुष्टि करता है, जिसमें वह बार-बार अमेरिकी कंपनियों को देश में ही उत्पादन करने की वकालत करते रहे हैं। हालांकि, यह अभी स्पष्ट नहीं है कि ट्रंप को एक विशेष कंपनी पर ऐसा टैरिफ लगाने का कानूनी अधिकार है या नहीं।
यूरोपीय संघ पर भी 50% टैरिफ की धमकी
Apple पर टैरिफ की चेतावनी देने के मात्र 30 मिनट बाद ट्रंप ने यूरोपीय संघ (EU) पर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि 1 जून 2025 से EU पर 50% टैरिफ लगाया जा सकता है। ट्रंप ने कहा कि EU को अमेरिका के व्यापारिक हितों को नुकसान पहुंचाने के लिए ही बनाया गया था।
वैश्विक बाजारों में गिरावट
ट्रंप के इन बयानों का असर वैश्विक बाजारों पर भी देखने को मिला। अमेरिकी शेयर वायदा बाजार में गिरावट आई, वहीं यूरोपीय शेयर बाजारों में भी 2% की गिरावट दर्ज की गई। इससे शुक्रवार को अमेरिका और यूरोपीय संघ के व्यापार प्रतिनिधियों के बीच होने वाली बैठक में तनाव बढ़ने की संभावना है। डोनाल्ड ट्रंप की ये घोषणाएं आगामी चुनावों से पहले ‘मेक इन अमेरिका’ अभियान को पुनर्जीवित करने की कोशिश के तौर पर देखी जा रही हैं। हालांकि, इन नीतियों की व्यवहारिकता और कानूनी वैधता को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। Apple जैसी वैश्विक कंपनियों के लिए यह चेतावनी आगे चलकर बड़ा व्यापारिक सिरदर्द बन सकती है।