“अगर हिम्मत है तो बिहार आओ, पटक-पटक कर मारेंगे” – BJP सांसद निशिकांत दुबे का राज ठाकरे को खुला चैलेंज

"अगर हिम्मत है तो बिहार आओ, पटक-पटक कर मारेंगे" – BJP सांसद निशिकांत दुबे का राज ठाकरे को खुला चैलेंज

गुवाहाटी: मुंबई में मराठी न बोलने पर हिंदी भाषी लोगों के साथ कथित मारपीट का मामला अब राजनीतिक रंग ले चुका है। इस मुद्दे पर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे को घेरते हुए भारतीय जनता पार्टी (BJP) के झारखंड से सांसद निशिकांत दुबे ने तीखा हमला बोला है। गुवाहाटी में एक समाचार एजेंसी को दिए गए इंटरव्यू में दुबे ने राज ठाकरे को बिहार आने की चुनौती देते हुए कहा, “अगर हिम्मत है तो बिहार आओ, पटक-पटक कर मारा जाएगा।”

“हमारे पैसों पर पल रहे हो”

निशिकांत दुबे ने कहा कि महाराष्ट्र में बड़ी इंडस्ट्रीज तो हैं, लेकिन उनकी जड़ें पूर्वी भारत में हैं। उन्होंने कहा, “आप किसकी रोटी खा रहे हो? टाटा, बिरला, रिलायंस की पहली फैक्ट्री बिहार, झारखंड और ओडिशा में लगी। हमारे पैसे पर पल रहे हो। महाराष्ट्र के पास कौन सी माइंस है? माइंस तो हमारे पास हैं – झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा और मध्यप्रदेश में।”

“मराठी भाषा का सम्मान, पर लठतंत्र नहीं चलेगा”

बीजेपी सांसद ने साफ किया कि वह मराठी भाषा और संस्कृति का सम्मान करते हैं, लेकिन राज ठाकरे की भाषा की राजनीति को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, “हम छत्रपति शिवाजी महाराज और शाहूजी महाराज का सम्मान करते हैं। मराठी हमारी भी आदरणीय भाषा है। लेकिन लाठियों से हिंदीभाषियों को पीटोगे, तो जवाब भी मिलेगा।”

“अपने घर में तो कुत्ता भी शेर होता है”

निशिकांत दुबे ने राज ठाकरे को चुनौती देते हुए कहा, “अगर आप इतने ही ताकतवर हैं, तो महाराष्ट्र में उर्दू, तमिल या तेलुगू भाषियों पर हमला करके दिखाइए। अपने घर में तो कुत्ता भी शेर होता है। अगर हिम्मत है तो बिहार या उत्तर प्रदेश आइए, वहां पता चल जाएगा कौन शेर है और कौन कुत्ता।”

पृष्ठभूमि: मुंबई में भाषा को लेकर बढ़ा विवाद

यह विवाद तब शुरू हुआ जब मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने मुंबई में मराठी भाषा को अनिवार्य करने की मांग करते हुए कहा कि हिंदी नहीं बोलने पर कार्रवाई होनी चाहिए। इसके बाद मुंबई के मीरा रोड में एक हिंदीभाषी व्यक्ति के साथ मारपीट की घटना सामने आई, जिसके बाद यह मामला तूल पकड़ गया है।

राजनीतिक प्रतिक्रियाओं की बाढ़

इस विवाद पर विपक्षी दलों सहित कई सामाजिक संगठनों ने राज ठाकरे की आलोचना की है। अब बीजेपी के वरिष्ठ सांसद निशिकांत दुबे की यह तेज प्रतिक्रिया इस बात का संकेत है कि मामला सिर्फ भाषाई नहीं, बल्कि राजनीतिक रूप से भी गंभीर मोड़ ले चुका है।