भारत ने चेनाब नदी का पानी रोका, पाकिस्तान में गहराया भीषण जल संकट, पानी के लिए तरस रहे लोग

भारत ने चेनाब नदी का पानी रोका, पाकिस्तान में गहराया भीषण जल संकट, पानी के लिए तरस रहे लोग
भारत ने चेनाब नदी का पानी रोका, पाकिस्तान में गहराया भीषण जल संकट, पानी के लिए तरस रहे लोग

पाकिस्तान इस साल खरीफ फसलों की बुआई के सीजन में भीषण जल संकट का सामना कर रहा है। देश के दो प्रमुख बांध — मंगला (झेलम नदी पर) और टर्बेला (सिंधु नदी पर) — में जल स्तर गंभीर रूप से गिर चुका है। साथ ही, चेनाब नदी में भारत द्वारा जल प्रवाह को नियंत्रित करने के चलते पानी की आपूर्ति में अचानक गिरावट आई है। इस स्थिति ने पाकिस्तान के लिए खरीफ सीजन के दौरान जल संकट को और गंभीर बना दिया है।

21% पानी की कमी

पाकिस्तान की सिंधु नदी प्रणाली प्राधिकरण (IRSA) के अनुसार, देश वर्तमान में 21% कुल जल आपूर्ति की कमी और दो प्रमुख जलाशयों — मंगला और टर्बेला — में लगभग 50% लाइव स्टोरेज की गिरावट का सामना कर रहा है। ये दोनों बांध पंजाब और सिंध प्रांतों की सिंचाई और पनबिजली उत्पादन के लिए जीवनरेखा माने जाते हैं।

IRSA ने कहा है कि,

“चेनाब नदी में भारत द्वारा की गई आपूर्ति में अचानक कमी के कारण, माराला के पास जल प्रवाह में तेज गिरावट दर्ज की गई है, जिससे खरीफ सीजन की शुरुआत में पानी की कमी और बढ़ेगी।”

भारत ने पानी की जानकारी साझा करना भी रोका

भारत ने अप्रैल में पहलगाम आतंकी हमले के बाद 1960 के सिंधु जल संधि (IWT) को निलंबित कर दिया था। इसके बाद से भारत ने पानी के प्रवाह से जुड़ी कोई जानकारी पाकिस्तान को साझा नहीं की, जिससे पाकिस्तान की जल प्रबंधन व्यवस्था और प्रभावित हुई है। बगलीहार और सलाल बांधों से भारत द्वारा जल प्रवाह के नियमन की बात कही जा रही है, जहां अभी केवल जल निकासी और गाद हटाने के जरिए अतिरिक्त भंडारण की अनुमति दी गई है।

टर्बेला और मंगला बांध में चिंताजनक जल स्तर

सरकारी आंकड़ों के अनुसार,

  • मंगला बांध में केवल 2.7 मिलियन एकड़ फीट (MAF) पानी बचा है, जो इसकी कुल क्षमता 5.9 MAF का कम से कम 50% है।
  • वहीं टर्बेला बांध में लगभग 6 MAF जल संग्रहण है, जो 11.6 MAF की कुल क्षमता का थोड़ा अधिक है।

पाकिस्तान के लिए भविष्य में बाढ़ प्रबंधन भी चुनौती

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत द्वारा जल प्रवाह की जानकारी साझा न करने के कारण, पाकिस्तान के लिए मानसून के समय बाढ़ प्रबंधन करना भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है। सिंधु नदी प्रणाली के अधिकांश ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र भारत में स्थित हैं।

खेती के लिए पश्चिमी नदियों पर निर्भर पाकिस्तान

पाकिस्तान के पंजाब और सिंध प्रांतों की खेती पूरी तरह से सिंधु नदी प्रणाली पर आधारित है, जिसमें इंडस, झेलम और चेनाब प्रमुख स्रोत हैं। भारत को पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास, सतलुज) पर पूर्ण अधिकार है, जबकि पश्चिमी नदियों पर सीमित भंडारण की अनुमति है।

हालांकि, भारत 3.6 MAF तक जल संग्रह कर सकता है, लेकिन अब तक इस अधिकार का पूरा उपयोग नहीं किया गया है। इसका लाभ पाकिस्तान को मिलता रहा है, लेकिन मौजूदा भू-राजनीतिक और रणनीतिक हालात में यह संतुलन अब बदलता दिख रहा है।

पाकिस्तान की प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ द्वारा हाल ही में ताजिकिस्तान में आयोजित सम्मेलन में इस मुद्दे को उठाना इस बात का संकेत है कि इस जल संकट को वह अंतर्राष्ट्रीय दबाव के एक हथियार के रूप में उपयोग करने की कोशिश कर रहे हैं। परंतु भारत की स्पष्ट नीति और सिंधु जल संधि को निलंबित करने के बाद की कूटनीति पाकिस्तान की कोशिशों को सीमित करती दिखाई दे रही है।