भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला आज करेंगे अंतरिक्ष की ओर ऐतिहासिक उड़ान, Axiom-4 मिशन में निभाएंगे पायलट की भूमिका

भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला आज करेंगे अंतरिक्ष की ओर ऐतिहासिक उड़ान, Axiom-4 मिशन में निभाएंगे पायलट की भूमिका
भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला आज करेंगे अंतरिक्ष की ओर ऐतिहासिक उड़ान, Axiom-4 मिशन में निभाएंगे पायलट की भूमिका

नई दिल्ली: भारत के लिए एक गौरवशाली क्षण में, भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला आज अंतरिक्ष की ओर रवाना होने वाले हैं। वे Axiom Mission-4 (Ax-4) के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की यात्रा पर जा रहे हैं। यह मिशन अमेरिकी कंपनी स्पेसएक्स, नासा और एक्सिऑम स्पेस के सहयोग से संचालित किया जा रहा है।

शुभांशु शुक्ला इस मिशन में स्पेसएक्स ड्रैगन अंतरिक्षयान के पायलट की भूमिका निभा रहे हैं। उनके साथ पूर्व नासा अंतरिक्ष यात्री पेगी व्हिटसन कमांडर के रूप में, पोलैंड के एस्ट्रोनॉट स्लावोस उज़्नान्स्की और हंगरी के तिबोर कपू मिशन स्पेशलिस्ट के रूप में शामिल हैं।

भारत, पोलैंड और हंगरी के लिए ऐतिहासिक क्षण

Axiom-4 मिशन भारत, पोलैंड और हंगरी के लिए विशेष रूप से ऐतिहासिक है, क्योंकि ये तीनों देश चार दशकों बाद मानव अंतरिक्ष मिशन में शामिल हो रहे हैं। इस मिशन के माध्यम से ये देश पहली बार संयुक्त रूप से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक मानव भेज रहे हैं।

शुभांशु शुक्ला का परिचय

ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला वर्ष 2006 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुए थे। उन्होंने 2,000 से अधिक उड़ान घंटों का अनुभव प्राप्त किया है और सुखोई-30 MKI, मिग-21, मिग-29, जैगुआर और अन्य विमानों को उड़ाया है। उन्हें वर्ष 2024 में ग्रुप कैप्टन के रूप में पदोन्नत किया गया।

2019 में ISRO द्वारा चयन के बाद उन्होंने रूस के यूरी गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में कठोर प्रशिक्षण प्राप्त किया। वर्ष 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें गगनयान मिशन के लिए चयनित भारतीय अंतरिक्षयात्रियों में शामिल होने की घोषणा की थी।

अनुसंधान और प्रयोग

शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में लगभग 14 दिन बिताएंगे और 60 प्रयोगों में भाग लेंगे, जिनमें से सात ISRO और पांच NASA के मानव शोध कार्यक्रम से जुड़े हैं। वे तारडीग्रेड्स नामक सूक्ष्मजीवों पर अनुसंधान करेंगे, जो अत्यधिक विकिरण, निर्वात और तापमान को सहन कर सकते हैं। इससे मानव शरीर की अंतरिक्ष में प्रतिक्रिया समझने और भविष्य के चंद्रमा तथा मंगल अभियानों की तैयारी में मदद मिलेगी।

साथ ही वे मस्कुलर डिसफंक्शन, कॉग्निटिव रिस्पॉन्स, और माइक्रोग्रैविटी में निरंतर इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले के प्रभाव जैसे विषयों पर भी अनुसंधान करेंगे।

भारतीय व्यंजन और ‘जॉय’ का साथ

ISRO और DRDO ने मिलकर शुभांशु के लिए विशेष भारतीय भोजन तैयार किया है जिसमें आमरस, मूंग दाल हलवा, गाजर हलवा और चावल आधारित व्यंजन शामिल हैं। इसके अलावा, वे अपने साथ ‘जॉय’ नामक सफेद हंस के आकार का सॉफ्ट टॉय लेकर जा रहे हैं, जो माइक्रोग्रैविटी की शुरुआत का संकेत देगा।

परिवार की खुशी

शुभांशु के माता-पिता ने मीडिया से बातचीत में अपनी खुशी और गर्व जाहिर किया। उनके पिता ने कहा कि शुभांशु पूरे देश और अपने शहर लखनऊ का नाम रोशन कर रहे हैं, वहीं उनकी मां ने बेटे की सफलता में बहू के योगदान को भी सराहा।

मौसम और तकनीकी तैयारी

स्पेसएक्स ने बताया है कि मौसम की स्थिति 90 प्रतिशत अनुकूल है और सभी तकनीकी प्रणालियां सुचारू रूप से कार्य कर रही हैं। लॉन्च अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित कैनेडी स्पेस सेंटर से फाल्कन 9 रॉकेट के जरिए किया जा रहा है, और वापसी के लिए यह ड्रैगन यान प्रयोग में लाया जाएगा।

Axiom-4 मिशन न केवल भारत के लिए वैज्ञानिक उपलब्धि है, बल्कि यह भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों की अंतरराष्ट्रीय पहचान का प्रतीक भी बन गया है। शुभांशु शुक्ला की यह यात्रा भारत के मानव अंतरिक्ष अभियान ‘गगनयान’ और भविष्य की ‘भारत अंतरिक्ष स्टेशन’ परियोजना के लिए नई राह खोल सकती है।