नई दिल्ली/विशाखापत्तनम: भारतीय नौसेना को 18 जून को एक महत्वपूर्ण सैन्य ताकत मिलने जा रही है। ‘अर्नाळा’ नामक युद्धपोत, जो एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट (ASW-SWC) श्रृंखला का पहला पोत है, को विशाखापत्तनम के नौसैनिक डॉकयार्ड में आयोजित समारोह में नौसेना में शामिल किया जाएगा। इस ऐतिहासिक अवसर की अध्यक्षता चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान करेंगे।
‘अर्नाळा’ युद्धपोत की खासियतें:
- भारतीय निर्माण और तकनीकी आत्मनिर्भरता:
यह युद्धपोत 80 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी तकनीक से निर्मित है। इसमें भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL), एलएंडटी, महिंद्रा डिफेंस और MEIL जैसी अग्रणी भारतीय रक्षा कंपनियों की अत्याधुनिक प्रणालियां शामिल की गई हैं। - सार्वजनिक-निजी भागीदारी से निर्माण:
‘अर्नाळा’ का निर्माण गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE), कोलकाता द्वारा एलएंडटी शिपबिल्डर्स के सहयोग से किया गया है। यह परियोजना भारत के ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान की दिशा में एक मील का पत्थर मानी जा रही है। - तकनीकी क्षमताएं:
यह पोत समुद्र के भीतर निगरानी, खोज और बचाव अभियान, तथा निम्न-तीव्रता वाले समुद्री अभियानों के लिए पूरी तरह से सक्षम है।
इसकी लंबाई 77 मीटर और वजन 1,490 टन से अधिक है। यह भारत का पहला डीजल इंजन-वाटरजेट प्रोपल्शन सिस्टम से संचालित सबसे बड़ा युद्धपोत है। - रोज़गार और उद्योग को बढ़ावा:
इस परियोजना में 55 से अधिक MSMEs (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों) की भागीदारी रही, जिससे घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा मिला और स्थानीय स्तर पर रोज़गार सृजन हुआ।
‘अर्नाळा’ नाम की विरासत
इस युद्धपोत का नाम महाराष्ट्र के वसई के पास स्थित ऐतिहासिक अर्नाळा किले के नाम पर रखा गया है, जिसे 1737 में पेशवा बाजीराव के भाई चिमाजी अप्पा ने मराठा साम्राज्य के लिए बनवाया था। यह किला कभी वैतरणा नदी के मुहाने और उत्तरी कोंकण तट की रक्षा करता था। ‘अर्नाळा’ पोत की बनावट में इस किले की मजबूत पत्थर की दीवारों से प्रेरणा ली गई है, जबकि इसके आधुनिक हथियार और सेंसर आज के युग की तोपों का प्रतीक हैं।
प्रतीक और आदर्श वाक्य:
- पोत का क्रेस्ट (चिन्ह) एक ऑगर शंख की आकृति लिए हुए है, जो दृढ़ता, सटीकता और सतर्कता का प्रतीक है। इसके नीचे अंकित है ‘अर्नवे शौर्यम्’, जिसका अर्थ है “सागर में शौर्य” — यह पोत और उसके दल की भावना और संकल्प का प्रतीक है।
समारोह में कौन रहेगा शामिल?
इस महत्वपूर्ण समारोह की मेजबानी पूर्वी नौसैनिक कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, वाइस एडमिरल राजेश पेंढारकर करेंगे। इसमें नौसेना के वरिष्ठ अधिकारी, गणमान्य व्यक्ति, जहाज़ निर्माता और इस परियोजना से जुड़े सभी हितधारक शामिल होंगे। ‘अर्नाळा’ का नौसेना में शामिल होना भारत की तटीय रक्षा, स्वदेशी उत्पादन क्षमता और रणनीतिक आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह युद्धपोत आने वाले वर्षों में देश की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।