नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, जो अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर जाने वाले भारत के पहले और 41 वर्षों बाद दूसरे भारतीय अंतरिक्ष यात्री बने, आज सुरक्षित रूप से धरती पर लौट आए हैं। Axiom Space के Axe-4 मिशन की यह वापसी ऐतिहासिक और सफलता भरी रही।
कैलीफोर्निया तट पर सफल स्प्लैशडाउन
शुभांशु शुक्ला और उनके तीन साथियों – पेगी व्हिटसन (अमेरिका), स्लावोस्ज उज़्नान्स्की-विस्नेव्स्की (पोलैंड) और टिबोर कापू (हंगरी) – को लेकर SpaceX का ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट “Grace” भारतीय समयानुसार दोपहर 3:00 बजे (स्थानीय समय 4:30 AM CT) प्रशांत महासागर में कैलिफोर्निया तट के पास स्प्लैशडाउन कर गया।
मिशन का यह अंतिम चरण 23 घंटे लंबी वापसी यात्रा के बाद पूरा हुआ। इसके साथ ही भारत ने वैश्विक अंतरिक्ष यात्रियों की सूची में एक नई उपलब्धि जोड़ दी है।
स्पेसएक्स ने की पुष्टि
स्पेसएक्स ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर मिशन की पुष्टि करते हुए लिखा:
“Dragon is GO to undock from the Space Station.”
“Dragon separation confirmed!”
ड्रैगन कैप्सूल ने सोमवार (14 जुलाई) दोपहर 2 बजे IST पर अंतरिक्ष स्टेशन से विदा ली और शाम 4:45 बजे IST पर ISS के हार्मनी मॉड्यूल से सफलतापूर्वक अनडॉक किया गया।
मिशन 14 नहीं, 18 दिन चला
हालांकि शुरू में शुभांशु का मिशन 14 दिनों का निर्धारित था, लेकिन इसे 4 दिन के लिए बढ़ा दिया गया ताकि वैज्ञानिक अनुसंधान और अंतरराष्ट्रीय सहयोगात्मक प्रयोग पूरे किए जा सकें। इस दौरान शुभांशु ने अंतरिक्ष में कई वैज्ञानिक प्रयोगों और एजुकेशनल आउटरीच कार्यक्रमों में हिस्सा लिया।
भावुक हुआ परिवार
जब ड्रैगन कैप्सूल ने प्रशांत महासागर में स्प्लैशडाउन किया, तब शुभांशु के माता-पिता और बहन की भावनाएं छलक पड़ीं। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में उनका गर्व और आनंद स्पष्ट दिखाई दे रहा है।
41 साल बाद एक भारतीय ने रचा इतिहास
1984 में राकेश शर्मा के बाद शुभांशु शुक्ला दूसरे भारतीय हैं जिन्होंने अंतरिक्ष की यात्रा की है, और पहले भारतीय हैं जिन्होंने ISS पर कदम रखा। शुभांशु ने 26 जून को NASA के कैनेडी स्पेस सेंटर से SpaceX के Falcon 9 रॉकेट के जरिए उड़ान भरी थी।
“भारत अब भी सबसे सुंदर है” – शुभांशु की भावुक विदाई
ISS से विदा लेते समय, शुभांशु ने स्टेशन की कपोला विंडो से धरती की ओर देखते हुए कहा:
“भारत अब भी दुनिया से सबसे सुंदर दिखता है।”
उन्होंने ISRO, NASA, SpaceX और Axiom Space को धन्यवाद देते हुए इस मिशन को “एक अविश्वसनीय यात्रा” बताया।
अब 7 दिन की पुनर्वास प्रक्रिया
धरती पर वापसी के बाद, शुभांशु और अन्य तीन अंतरिक्ष यात्री 7 दिनों के रीहैबिलिटेशन प्रोग्राम में हिस्सा लेंगे ताकि वो धरती की गुरुत्वाकर्षण के अनुकूल हो सकें। माइक्रोग्रैविटी में 18 दिन बिताने के बाद, यह प्रक्रिया अत्यंत आवश्यक मानी जाती है।
भारत के लिए एक नया अध्याय
शुभांशु शुक्ला की सफलता ISRO के भावी मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ के लिए भी प्रेरणा है। उनकी यह यात्रा भारत के वैश्विक अंतरिक्ष अभियानों में गहराई से जुड़ने की शुरुआत है।