
नई दिल्ली/पोर्ट ब्लेयर: भारत और दक्षिण एशिया के एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी बैरन द्वीप (Barren Island) पर एक बार फिर हल्की तीव्रता के विस्फोट दर्ज किए गए हैं। बीते आठ दिनों के भीतर दो बार इस ज्वालामुखी में विस्फोट हुआ है। पहली बार 13 सितंबर 2025 को और दूसरी बार 20 सितंबर 2025 को। यह जानकारी पीटीआई समाचार एजेंसी के हवाले से अधिकारियों ने साझा की है।
बैरन द्वीप पर इससे पहले 2022 में ज्वालामुखी फटा था। यह द्वीप अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह का हिस्सा है और यह क्षेत्र अपने सुंदर समुद्र तटों के अलावा भूवैज्ञानिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
कहां स्थित है यह ज्वालामुखी?
बैरन द्वीप एक निर्जन द्वीप है, जिसका क्षेत्रफल केवल 8.34 वर्ग किलोमीटर है। यह पोर्ट ब्लेयर से लगभग 140 किलोमीटर दूर स्थित है। यह द्वीप ज्वालामुखीय राख और चट्टानों से बना है और भारतीय तथा बर्मी (म्यांमार) टेक्टोनिक प्लेटों के मिलन स्थल पर स्थित है।
यह ज्वालामुखी सबसे पहले वर्ष 1787 में फटा था, जिसके बाद 1991, 2005, 2017 और 2022 में भी इसमें हल्के विस्फोट देखे गए हैं। इस द्वीप पर कोई आबादी नहीं है और यह वैज्ञानिकों और पर्यटकों के लिए विशेष रुचि का केंद्र रहा है।
ज्वालामुखी कैसे फटता है?
ज्वालामुखी विस्फोट की प्रक्रिया को एक आसान उदाहरण से समझा जा सकता है जैसे किसी शैम्पेन की बोतल को हिलाने के बाद उसमें दबाव बन जाता है और ढक्कन खुलते ही अंदर का झाग तेजी से बाहर निकलता है।
इसी तरह, पृथ्वी की सतह के अंदर अत्यधिक गर्मी और दबाव की वजह से चट्टानें पिघलकर मैग्मा में बदल जाती हैं। जब यह दबाव सतह को तोड़ने लगता है, तो ज्वालामुखी के जरिए लावा, गैस और राख बाहर निकलती है।
ज्वालामुखी दो प्रकार से फटते हैं:
- तेज, ध्वनियुक्त विस्फोट के साथ
- धीरे-धीरे लावा बहने के रूप में
लावा क्या होता है?
ज्वालामुखी से निकलने वाला गाढ़ा, गर्म तरल पदार्थ लावा कहलाता है। इसके साथ धूल, राख और जहरीली गैसें भी निकलती हैं, जो पर्यावरण और जलवायु पर असर डाल सकती हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण
बैरन द्वीप का यह सक्रिय ज्वालामुखी वैज्ञानिकों के लिए एक अध्ययन स्थल भी है, जहां पृथ्वी की आंतरिक गतिविधियों को समझा जा सकता है। भूवैज्ञानिक मानते हैं कि इस तरह के सक्रिय ज्वालामुखी आने वाले भूकंपों या प्लेट मूवमेंट्स के संकेतक भी हो सकते हैं।
बैरन द्वीप पर एक बार फिर सक्रियता दिखा रहा यह ज्वालामुखी भारत के भूगर्भीय परिदृश्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। वैज्ञानिकों की नजर इस पर बनी हुई है, और आने वाले दिनों में और भी विस्फोट की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।












