रूसी तेल पर ट्रंप के आरोपों पर भारत का कड़ा जवाब, अपने काम से काम रखे अमेरिका और यूरोप

रूसी तेल पर ट्रंप के आरोपों पर भारत का कड़ा जवाब, अपने काम से काम रखे अमेरिका और यूरोप
रूसी तेल पर ट्रंप के आरोपों पर भारत का कड़ा जवाब, अपने काम से काम रखे अमेरिका और यूरोप

नई दिल्ली: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए आरोपों के बाद विदेश मंत्रालय (MEA) ने सोमवार को एक कड़ा बयान जारी करते हुए भारत की ऊर्जा रणनीति का मजबूती से बचाव किया। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि रूस से कच्चे तेल की खरीद “वैश्विक बाजार की परिस्थितियों द्वारा मजबूर एक आवश्यकता” है, न कि रूस के लिए किसी प्रकार का राजनीतिक समर्थन।

MEA का जवाब – “भारत अपने आर्थिक हितों की सुरक्षा के लिए हर कदम उठाएगा”

विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा,
“भारत अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा।”
बयान में यह भी जोर दिया गया कि अमेरिका और यूरोपीय संघ (EU) ने यूक्रेन युद्ध की सार्वजनिक आलोचना के बावजूद, रूस के साथ ऊर्जा और आवश्यक वस्तुओं में व्यापार जारी रखा है।

ट्रंप के आरोप और टैरिफ का मामला

MEA की यह प्रतिक्रिया ट्रंप के उस बयान के कुछ ही घंटों बाद आई, जिसमें उन्होंने भारत पर “रूसी तेल की बड़ी मात्रा में खरीद और उसे खुले बाजार में भारी मुनाफे पर बेचने” का आरोप लगाया। ट्रंप ने यह भी कहा कि वह भारत पर टैरिफ बढ़ाकर दंडात्मक कार्रवाई करेंगे।

1 अगस्त को ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करते हुए ‘Further Modifying the Reciprocal Tariff Rates’ शीर्षक से एक नया आदेश लागू किया, जिसके तहत भारतीय वस्तुओं पर 25% शुल्क लगाया गया है।

हालांकि इस आदेश में सीधे तौर पर रूस से तेल या सैन्य खरीद के लिए दंड का उल्लेख नहीं है, लेकिन ट्रंप की हालिया बयानबाज़ी ने इस विषय को गरमा दिया है। उन्होंने पहले कहा था कि “भारत और रूस अपनी मृतप्राय अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ डुबो सकते हैं।” इस पर भारत ने जोर देकर कहा कि वह दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है।

MEA ने अमेरिका-यूरोप की ‘डबल स्टैंडर्ड’ पर उठाए सवाल

विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में अमेरिका और यूरोपीय संघ के दोहरे मापदंडों को उजागर करते हुए कहा कि
“2024 में यूरोपीय संघ का रूस के साथ व्यापार भारत से कहीं अधिक था।” उदाहरण के तौर पर, EU ने 16.5 मिलियन टन रूसी LNG (तरलीकृत प्राकृतिक गैस) का आयात किया, जो अब तक का रिकॉर्ड है। बयान में यह भी बताया गया कि अमेरिका रूस से यूरेनियम, पैलेडियम और उर्वरक का आयात अब भी जारी रखे हुए है।

भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह विदेशी दबाव में आने वाला नहीं है और अपनी ऊर्जा जरूरतों को लेकर स्वतंत्र नीति अपनाएगा। ट्रंप की धमकियों के बीच भारत ने न केवल तथ्यों के साथ जवाब दिया, बल्कि यह भी जता दिया कि राष्ट्रीय हित और आर्थिक सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।