नई दिल्ली: संसद के मॉनसून सत्र के पहले दिन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी। उन्होंने सोमवार शाम स्वास्थ्य कारणों से अपना पद छोड़ने की घोषणा की। हालांकि इससे पहले उन्होंने राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन किया और शाम 4:30 बजे कार्य सलाहकार समिति (BAC) की बैठक भी ली।
इस बीच, स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने उस बैठक में अनुपस्थित रहने को लेकर स्पष्टीकरण दिया है। उन्होंने कहा कि वह और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू दोनों ही उस समय अन्य महत्वपूर्ण संसदीय कार्यों में व्यस्त थे और उपराष्ट्रपति के कार्यालय को उनकी अनुपस्थिति की पूर्व सूचना दे दी गई थी।
राज्यसभा में दिए बयान पर भी दी सफाई
जेपी नड्डा ने सोमवार को राज्यसभा में दिए अपने उस बयान पर भी प्रतिक्रिया दी जिसमें उन्होंने कहा था, “केवल वही बात रिकॉर्ड में दर्ज होगी जो मैं कहूंगा।” इस पर उन्होंने सफाई दी कि यह टिप्पणी सभापति के लिए नहीं, बल्कि विपक्षी सांसदों द्वारा किए जा रहे व्यवधान के लिए थी।
धनखड़ नहीं जाएंगे संसद, स्वास्थ्य पर देंगे ध्यान
धनखड़ के पारिवारिक सूत्रों के अनुसार, वह मंगलवार को संसद नहीं जाएंगे और फिलहाल घर पर आराम करेंगे। उत्तराखंड के हालिया दौरे के दौरान उनकी तबीयत बिगड़ गई थी, जिसके बाद से चिकित्सकों ने उन्हें आराम की सलाह दी है। उनके इस्तीफे को लेकर परिवार का कहना है कि उन्होंने यह निर्णय स्वास्थ्य कारणों से सोच-समझकर लिया है और अब इस पर पुनर्विचार की कोई संभावना नहीं है। उनके करीबी लोगों का कहना है कि धनखड़ फेयरवेल समारोह भी नहीं चाहते।
सरकार की रणनीति बैठक
मंगलवार को संसद भवन में सरकार के शीर्ष मंत्रियों की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर सहित कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए। बैठक का मकसद मॉनसून सत्र के दौरान सरकार के विधायी एजेंडे को आगे बढ़ाने की रणनीति तय करना था। सरकार इस सत्र में नया इनकम टैक्स बिल समेत कई महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने की तैयारी में है।
धनखड़ का इस्तीफा ऐसे समय में आया है जब संसद का सत्र चल रहा है, और सरकार कई मोर्चों पर विपक्ष के तीखे सवालों का सामना कर रही है। ऐसे में इस घटनाक्रम ने सियासी तापमान और बढ़ा दिया है।