नई दिल्ली: पवित्र मानसरोवर झील के पास स्थित एक रहस्यमयी झील – राक्षस ताल – इन दिनों फिर चर्चा में है। जहां एक ओर मानसरोवर को मोक्ष का प्रतीक माना जाता है, वहीं इससे कुछ ही दूरी पर स्थित राक्षस ताल को शापित, जहरीला और नकारात्मक ऊर्जा से भरपूर कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह वही स्थान है जहां लंकेश्वर रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए घोर तप किया था।
राक्षस ताल को ‘लांगार चो’ या ‘ल्हानाग त्सो’ के नाम से तिब्बती लोग भी जानते हैं, जिसका अर्थ होता है “काली झील” या “जहर की झील”। बौद्ध और तिब्बती मान्यताओं में इस झील को अंधकार का प्रतीक माना गया है। विशेष बात यह है कि इस झील का पानी न पीने लायक है, न स्नान के योग्य। वैज्ञानिक भी अब तक यह नहीं समझ पाए हैं कि आखिर क्यों इस झील का पानी इतना खारा और विषैला है। न ही इस झील में मछलियाँ पाई जाती हैं और न ही इसके आसपास कोई हरियाली नजर आती है।
इसके ठीक उलट, बगल में स्थित मानसरोवर झील जीवनदायिनी मानी जाती है, जहां श्रद्धालु स्नान कर पुण्य प्राप्त करते हैं। ऐसी मान्यता है कि राक्षस ताल में स्नान करने से गंभीर रोग हो सकते हैं या मृत्यु भी संभव है। यही कारण है कि चीनी सरकार ने इस झील के चारों ओर एक सीमा-रेखा बना दी है, ताकि कोई भी श्रद्धालु गलती से भी इसमें न जा सके।धार्मिक ग्रंथों और यात्रियों के अनुभव बताते हैं कि राक्षस ताल के पास जाने पर नकारात्मक ऊर्जा का एहसास होता है। कहा जाता है कि यहां आज भी राक्षसी शक्तियाँ वास करती हैं।
यह सिर्फ एक झील नहीं, बल्कि एक ऐसा रहस्य है, जो विज्ञान, आस्था और डर – तीनों के बीच झूलता रहता है।