करवा चौथ पर मिट्टी का करवा क्यों होता है अनिवार्य, क्या है इसका आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व

करवा चौथ पर मिट्टी का करवा क्यों होता है अनिवार्य, क्या है इसका आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व
करवा चौथ पर मिट्टी का करवा क्यों होता है अनिवार्य, क्या है इसका आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व

नई दिल्ली: करवा चौथ का पर्व हर साल सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन वे दिनभर निर्जला व्रत रखकर अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं। व्रत की पूजा में इस्तेमाल होने वाला मिट्टी का करवा (मिट्टी का बना पात्र) केवल एक परंपरागत वस्तु नहीं, बल्कि गहरे आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व का प्रतीक है। वर्ष 2025 में भी यह करवा चौथ पूजा का अभिन्न हिस्सा बना हुआ है, जो यह दर्शाता है कि आधुनिकता के बीच भी परंपरा की जड़ें कितनी मजबूत हैं।

1. पवित्रता और पृथ्वी से जुड़ाव का प्रतीक

मिट्टी, जिसे बिना किसी रासायनिक प्रक्रिया के सीधे धरती से लिया जाता है, शुद्धता और स्वाभाविकता की प्रतीक है। जब पूजा में मिट्टी का करवा प्रयोग होता है, तो यह न केवल माँ पृथ्वी से जुड़ेपन को दर्शाता है, बल्कि यह संकेत देता है कि हम प्रकृति को जो देते हैं, वह हमें कई रूपों में वापस मिलता है। धातु या कृत्रिम बर्तनों के मुकाबले मिट्टी का करवा आध्यात्मिक रूप से शुद्ध और ऊर्जावान माना जाता है।

2. ऊर्जा का अवशोषण और आध्यात्मिकता

मिट्टी को ऐसी तत्व माना जाता है जो सूक्ष्म ऊर्जा को अवशोषित कर सकती है। करवा चौथ के दिन जब पूरे दिन व्रती महिलाएं उसमें जल, फूल, अक्षत और अन्य पूजा सामग्री अर्पित करती हैं, तो वह करवा इन श्रद्धा और प्रार्थनाओं की ऊर्जा को अपने में समाहित कर लेता है। यह मिट्टी के तत्व द्वारा दिव्यता को आत्मसात करने का प्रतीक बनता है।

3. पीढ़ियों से चली आ रही परंपरा

कई परिवारों में एक ही करवा को वर्षों तक उपयोग किया जाता है। यह न केवल वस्तु के रूप में, बल्कि स्मृतियों, परंपराओं और रिश्तों का वाहक बन जाता है। ऐसे करवे दादी-नानी से बहू-बेटी तक पहुंचते हैं और हर वर्ष के करवा चौथ की कहानियों को अपने भीतर संजोए रखते हैं।

4. प्राकृतिक, व्यावहारिक और सुरक्षित

मिट्टी का करवा न केवल सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि व्यावहारिक दृष्टि से भी यह लाभदायक है:

  • ताप को बनाए रखने में सक्षम होता है।
  • हाथ जलने का खतरा कम होता है।
  • सजावट से मुक्त इसका रूप पूजा के लिए उपयुक्त और पवित्र माना जाता है।
  • पर्यावरण के अनुकूल होने के कारण यह प्लास्टिक या कृत्रिम बर्तनों से कहीं बेहतर विकल्प है।

5. आध्यात्मिक विनम्रता और समर्पण का प्रतीक

जब करवा चौथ जैसे प्रेम और आस्था के पर्व में एक साधारण मिट्टी का पात्र प्रमुख भूमिका निभाता है, तो यह यह दिखाता है कि श्रद्धा किसी दिखावे की मोहताज नहीं होती। यह मिट्टी का करवा विनम्रता, आत्मिक जुड़ाव और भक्ति की सादगी का प्रतीक है।

करवा चौथ में मिट्टी का करवा केवल एक वस्तु नहीं, बल्कि एक विचार है यह हमें हमारी जड़ों से जोड़ता है, प्रकृति के प्रति कृतज्ञता सिखाता है और यह याद दिलाता है कि सच्चे रिश्ते आडंबर से नहीं, बल्कि सच्चे भाव और विश्वास से बनते हैं।

2025 में भी जब आधुनिक पूजा सामग्री बाजार में उपलब्ध है, तब भी मिट्टी का करवा केंद्र में बना हुआ है, जो इस बात का प्रमाण है कि भारतीय परंपराएं समय के साथ बदलती जरूर हैं, लेकिन उनका मूल भाव कभी नहीं बदलता।

Pushpesh Rai
एक विचारशील लेखक, जो समाज की नब्ज को समझता है और उसी के आधार पर शब्दों को पंख देता है। लिखता है वो, केवल किताबों तक ही नहीं, बल्कि इंसानों की कहानियों, उनकी संघर्षों और उनकी उम्मीदों को भी। पढ़ना उसका जुनून है, क्योंकि उसे सिर्फ शब्दों का संसार ही नहीं, बल्कि लोगों की ज़िंदगियों का हर पहलू भी समझने की इच्छा है।