Kaun Banega Crorepati Controversy: KBC के बच्चे प्रतिभागी पर क्यों शुरू हुआ विवाद, क्या हर बार माता-पिता की गलती है?

Kaun Banega Crorepati Controversy: KBC के बच्चे प्रतिभागी पर क्यों शुरू हुआ विवाद, क्या हर बार माता-पिता की गलती है?
Kaun Banega Crorepati Controversy: KBC के बच्चे प्रतिभागी पर क्यों शुरू हुआ विवाद, क्या हर बार माता-पिता की गलती है?

हाल ही में गुजरात के एक पांचवीं कक्षा के छात्र ने लोकप्रिय टीवी शो कौन बनेगा करोड़पति में हिस्सा लिया। लेकिन जहां अधिकतर प्रतियोगी तालियों और इनाम के साथ मंच से जाते हैं, वहीं यह बच्चा सोशल मीडिया पर एक बहस का कारण बन गया।

शो के दौरान बच्चें के जवाब और मेज़बान अमिताभ बच्चन के प्रति उसका बर्ताव दर्शकों को रूखा और असभ्य लगा। इसके बाद उसे सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोल किया गया और उसके माता-पिता तक को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। कुछ मिनटों की टीवी क्लिप के आधार पर लोगों ने उनके पालन-पोषण के तरीके पर सवाल उठाने शुरू कर दिए।

बच्चे जैसा व्यवहार क्यों करते हैं

बच्चों के व्यवहार को समझाते हुए बाल मनोवैज्ञानिक डॉ. सुषमा गोपालन कहती हैं, “बच्चों का स्वभाव और परिवेश दोनों मिलकर उनके व्यवहार को आकार देते हैं। कुछ बच्चे स्वाभाविक रूप से बोल्ड और आत्मविश्वासी होते हैं, तो कुछ शर्मीले और सतर्क।”
उनके अनुसार, एक मंच पर आत्मविश्वासी दिखने वाला बच्चा केवल अपने स्वाभाव का प्रदर्शन कर रहा हो सकता है, न कि यह उसके गलत परवरिश का संकेत है।

हर सार्वजनिक गलती के लिए माता-पिता को दोष देना सही नहीं

डॉ. गोपालन बताती हैं, “माता-पिता अपने बच्चों के व्यवहार को दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन उनसे पूर्ण नियंत्रण की अपेक्षा करना अव्यवहारिक है।”
बच्चे थकावट, तनाव या उत्तेजना में अनपेक्षित व्यवहार कर सकते हैं, क्योंकि वे अभी भी अपनी भावनाओं को नियंत्रित करना सीख रहे होते हैं। इसके अलावा, वे केवल माता-पिता से नहीं, बल्कि स्कूल, दोस्तों, मीडिया और समाज से भी प्रभाव ग्रहण करते हैं।

जब घबराहट दिखती है आत्मविश्वास के रूप में

राष्ट्रीय टीवी पर आना किसी के लिए भी तनावपूर्ण हो सकता है, और बच्चों के लिए यह और भी कठिन होता है। डॉ. गोपालन कहती हैं, “नर्वसनेस या उत्साह कई बार घमंड या अभद्रता की तरह प्रतीत हो सकता है। बच्चे अक्सर इमोशन को ऐसे तरीके से प्रकट करते हैं जो उनके इरादों से मेल नहीं खाता।”

‘अच्छे पालन-पोषण’ की परिभाषा इतनी आसान नहीं

वायरल क्लिप्स जल्दी फैसले लेने को प्रेरित करती हैं। लेकिन जैसा कि डॉ. गोपालन कहती हैं, “पालन-पोषण एक लंबी प्रक्रिया है, जिसमें संघर्ष, असफलताएं और सीखने के मौके शामिल होते हैं।”
हम अक्सर अच्छे पालन-पोषण को चुप, विनम्र और ‘आदर्श’ व्यवहार से जोड़ देते हैं, लेकिन असली विकास तो गलतियों से होता है।

हमारी प्रतिक्रिया हमारे समाज को दर्शाती है

इस घटना ने न केवल बच्चे के व्यवहार पर सवाल उठाए, बल्कि समाज की सोच को भी उजागर किया।
डॉ. गोपालन कहती हैं, “हम आज भी बच्चों में आज्ञाकारिता और ‘दिखावटी शिष्टता’ को प्राथमिकता देते हैं। हम यह भूल जाते हैं कि बच्चों की भावनाओं की भी अहमियत होती है।”

सोशल मीडिया के इस दौर में हर बात रिकॉर्ड होती है और इसका असर लंबे समय तक रह सकता है। एक 10 वर्षीय बच्चे को ट्रोल करने वाले शायद यह नहीं सोचते कि इससे बच्चे का आत्मसम्मान और पूरा परिवार कितना प्रभावित हो सकता है।

हर बच्चे को गलतियां करने का मौका मिलना चाहिए, जैसे हर माता-पिता भी अपने तरीके से सीखते हैं और बेहतर बनने की कोशिश करते हैं।
कुछ सेकंड की वीडियो क्लिप को आधार बनाकर किसी के चरित्र या परवरिश का फैसला सुनाना केवल यही दिखाता है – शायद सहानुभूति और आत्म-नियंत्रण की ज़रूरत सिर्फ बच्चों को नहीं, हम सभी को है।

Pushpesh Rai
एक विचारशील लेखक, जो समाज की नब्ज को समझता है और उसी के आधार पर शब्दों को पंख देता है। लिखता है वो, केवल किताबों तक ही नहीं, बल्कि इंसानों की कहानियों, उनकी संघर्षों और उनकी उम्मीदों को भी। पढ़ना उसका जुनून है, क्योंकि उसे सिर्फ शब्दों का संसार ही नहीं, बल्कि लोगों की ज़िंदगियों का हर पहलू भी समझने की इच्छा है।