नई दिल्ली/कोल्लेंगोडे: यमन की जेल में मौत की सजा का सामना कर रहीं केरल की नर्स निमिषा प्रिया के लिए एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है। फांसी की निर्धारित तारीख 16 जुलाई से ठीक एक दिन पहले, यमनी अधिकारियों ने उनकी फांसी को टाल दिया है। यह फैसला भारत सरकार, सामाजिक संगठनों और धार्मिक नेताओं की संयुक्त कोशिशों का परिणाम बताया जा रहा है।
क्या है मामला?
38 वर्षीय निमिषा प्रिया, केरल के पलक्कड़ जिले के कोल्लेंगोडे की रहने वाली हैं। वर्ष 2008 में नर्स की नौकरी के लिए यमन गईं और बाद में वहां एक क्लिनिक खोला। यमन के कानून के अनुसार, किसी विदेशी को व्यापार के लिए स्थानीय साझेदार रखना अनिवार्य होता है। इसी कारण उन्होंने यमन निवासी तलाल अब्दो मेहदी को अपना साझेदार बनाया।
परिवार और कानूनी दस्तावेजों के अनुसार, मेहदी ने निमिषा के साथ धोखाधड़ी, मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना की। यहां तक कि उसने झूठा शादी का दावा किया और निमिषा का पासपोर्ट जब्त कर लिया। साल 2017 में, पासपोर्ट वापस पाने की कोशिश में निमिषा ने उसे बेहोश करने की योजना बनाई, लेकिन ड्रग की ओवरडोज से मेहदी की मौत हो गई। इसके बाद यमन की अदालत ने 2020 में उन्हें हत्या का दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई।
कैसे टली फांसी?
निमिषा को बचाने का एकमात्र कानूनी रास्ता यह था कि मृतक के परिवार द्वारा ‘ब्लड मनी’ (रक्त-मुआवज़ा) स्वीकार कर लिया जाए।
भारत सरकार ने शुरुआत से ही इस मामले को संवेदनशील मानते हुए हरसंभव राजनयिक प्रयास किए। भारतीय दूतावास यमन में स्थानीय जेल अधिकारियों और अभियोजन कार्यालय के लगातार संपर्क में रहा। इसी प्रयास के चलते, फांसी को अस्थायी रूप से टालना संभव हो पाया।
धार्मिक और सामाजिक पहल का असर
भारत सरकार की कोशिशों के साथ-साथ, केरल के प्रभावशाली सुन्नी मुस्लिम नेता ए.पी. अबूबक्र मुसलियार ने यमन के सूफी विद्वानों से संपर्क साधा। इसके बाद यमन के प्रतिष्ठित धार्मिक नेता शेख हबीब उमर बिन हाफिज के प्रतिनिधियों ने मृतक के परिवार से मुलाकात की। सूत्रों के मुताबिक, इन धार्मिक नेताओं की मध्यस्थता के बाद ही निमिषा प्रिया की फांसी को टालने की सहमति बनी है।
निमिषा प्रिया के लिए फांसी टलना मानवता और कूटनीति की बड़ी जीत मानी जा रही है। हालांकि यह सिर्फ एक अस्थायी राहत है, लेकिन उम्मीद जताई जा रही है कि ब्लड मनी स्वीकार होने के बाद उन्हें पूर्ण माफी या सजा में बदलाव मिल सकता है। अब निगाहें यमनी सरकार और मृतक के परिवार के अगले कदम पर टिकी हैं। भारत सरकार का कहना है कि वह न्यायपूर्ण समाधान तक सभी प्रयास जारी रखेगी।