उत्तरी केरल में स्थित कोझिकोड, जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है, जिसको रविवार को आधिकारिक तौर पर भारत का पहला यूनेस्को ‘साहित्य का शहर’ घोषित किया गया।
राज्य के स्थानीय स्वशासन विभाग (एलएसजीडी) मंत्री एम बी राजेश ने रविवार को यहां एक आधिकारिक कार्यक्रम में कोझिकोड की उपलब्धि की घोषणा की, जिसने यूसीसीएन की ‘साहित्य’ श्रेणी में स्थान अर्जित किया। राजेश ने कोझिकोड को एक आत्मा वाला शहर बताया, जिसकी विशेषता मानवता, सद्भाव, न्याय की प्रबल भावना और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। उन्होनें आगे कहा कि, “इन मूल मूल्यों ने कोझिकोड की जीवंत कला को जन्म दिया है।” मंत्री ने कहा कि कोझिकोड नगर निगम के कुशल कामकाज ने कोलकाता जैसे समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास वाले शहरों को पछाड़कर यूनेस्को से ‘साहित्य का शहर’ का टैग हासिल करने में प्रमुख भूमिका निभाई।
राज्य सरकार ने यह भी घोषणा की कि आने वाले वर्ष से 23 जून को कोझिकोड के ‘साहित्य के शहर’ दिवस के रूप में मनाया जाएगा, यह स्थान स्वर्गीय एस के पोट्टक्कड़ और वैकोम मुहम्मद बशीर जैसे महान साहित्यिक लोगों के लिए जाना जाता है।
एक समय ज़मोरिन के शहर के रूप में जाना जाने वाला कोझिकोड, जिसे ब्रिटिश शासन के दौरान कालीकट के रूप में भी जाना जाता था, सदियों पहले फारसियों, अरबों, चीनी और अंततः यूरोपीय लोगों जैसे कई विदेशियों के लिए तट के प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता था।
केरल में स्वतंत्रता आंदोलन का उद्गम स्थल, कोझिकोड कई दशकों से पुस्तक महोत्सवों के लिए एक महत्वपूर्ण गंतव्य भी रहा है। कोझिकोड एक ऐसा शहर है जहाँ 500 से अधिक पुस्तकालय कार्यरत हैं, और यह कई दशकों तक प्रसिद्ध मलयालम लेखक एम टी वासुदेवन नायर की साहित्यिक गतिविधियों का आधार रहा है।
भारत से ग्वालियर और कोझिकोड उन 55 नए शहरों में शामिल हैं जो UCCN में शामिल हुए हैं। नई सूची 31 अक्टूबर को विश्व शहर दिवस पर अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित की गई।
ये शहर उन स्थानों की सूची में शामिल हो गए हैं जिन्हें यूनेस्को से टैग प्राप्त हुए हैं, जिनमें बुखारा – शिल्प और लोक कला, कैसाब्लांका – मीडिया कला, चोंगकिंग – डिजाइन, काठमांडू – फिल्म, रियो डी जनेरियो – साहित्य, और उलानबटार – शिल्प और लोक कला शामिल हैं।