हाल ही में जर्नल ऑफ बिहेवियरल सायकियाट्री में प्रकाशित एक अध्ययन में यह सामने आया है कि देर रात तक जागने की आदत से चिंता और डिप्रेशन का खतरा बढ़ सकता है। अध्ययन में पाया गया कि जो लोग पर्याप्त नींद नहीं लेते, उनकी मानसिक स्थिति उन लोगों की तुलना में खराब होती है जो नियमित रूप से सोने का समय बनाए रखते हैं।
शोधकर्ताओं ने स्वस्थ वयस्कों पर एक अध्ययन किया और पाया कि नींद की कमी से चिंता, डिप्रेशन और सामान्य मानसिक तनाव के स्तर में वृद्धि होती है। इस शोध के अनुसार, भले ही किसी व्यक्ति को मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित कोई समस्या न हो, लेकिन नींद की कमी उसकी भावनात्मक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
अध्ययन ने यह भी रेखांकित किया कि एक नियमित नींद की दिनचर्या मानसिक स्वास्थ्य के लिए कितनी महत्वपूर्ण है। शोधकर्ताओं ने देखा कि नींद से वंचित व्यक्तियों में “स्थिति चिंता” (state anxiety) के स्तर में वृद्धि हुई, जो किसी विशिष्ट स्थिति में अस्थायी रूप से अनुभव होने वाली चिंता है। इसके साथ ही, इन व्यक्तियों में डिप्रेशन के लक्षण और सामान्य मानसिक तनाव भी ज्यादा था, जबकि अच्छी नींद लेने वाले लोगों में यह सब कम था।
इस शोध के परिणाम महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे नींद के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव को स्पष्ट करते हैं। यह निष्कर्ष यह साबित करते हैं कि सही नींद की आदतें मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी हैं, भले ही व्यक्ति को मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी कोई बड़ी समस्या न हो।
शोधकर्ता यह सलाह देते हैं कि अगर लोग अच्छी नींद को प्राथमिकता दें, तो वे अपनी भावनात्मक स्थिति को बेहतर बना सकते हैं और चिंता और डिप्रेशन जैसी समस्याओं से बच सकते हैं। इस अध्ययन ने मानसिक स्वास्थ्य पर नींद के प्रभाव को रेखांकित किया है और व्यक्तियों को अपनी नींद की दिनचर्या में सुधार करने के लिए प्रोत्साहित किया है।