प्रयागराज, 14 जनवरी 2025: महाकुंभ 2025 का पहला ‘अमृत स्नान’ आज मकर संक्रांति के पावन अवसर पर शुरू हुआ। यह पवित्र स्नान धार्मिक आयोजन की शुरुआत है, जो एक महीने तक चलेगा और 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन समाप्त होगा। इस विशेष अवसर पर एक रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालुओं ने स्नान किया है।
इस बार का महाकुंभ कई मायनों में खास है। इसे 12 वर्षों बाद आयोजित किया जा रहा है, लेकिन साधुओं और ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि इस बार के कुंभ मेले में तारा-मंडल की स्थिति ऐसी बन रही है, जो पिछले 144 वर्षों में कभी नहीं देखी गई। यही कारण है कि इसे और भी अधिक शुभ माना जा रहा है।
प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ के पहले ‘अमृत स्नान’ में 13 प्रमुख अखाड़ों ने भाग लिया। महाकुंभ प्रशासन ने इस पवित्र स्नान के लिए एक विस्तृत समय-सारणी तैयार की है, जिसमें हर अखाड़े के स्नान का समय और क्रम तय किया गया है।
आज सुबह सबसे पहले पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी और शम्भू पंचायती अटल अखाड़ा के साधु-संतों ने सुबह 5:15 बजे अपने शिविर से प्रस्थान किया और 6:15 बजे संगम घाट पर पहुंचे। उन्हें 40 मिनट का समय दिया गया, जिसमें उन्होंने पवित्र अमृत स्नान किया और फिर 7:55 बजे अपने शिविर लौट आए।
दिन भर अन्य अखाड़े भी अपने निर्धारित समय पर स्नान करेंगे। इनमें श्री तपोनिधि पंचायती श्री निरंजन अखाड़ा, श्री पंचायती अखाड़ा आनंद और संन्यासी अखाड़े जैसे श्री पंचदशनाम जुना अखाड़ा शामिल हैं। दोपहर में बैरागी अखाड़ों के बाद अंतिम स्नान श्री पंचायती निर्मल अखाड़ा द्वारा 5:20 बजे होगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस आयोजन को भारत की प्राचीन सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर का उत्सव बताया और कहा कि यह महाकुंभ एक ऐसा अद्भुत अवसर है, जो हर भारतीय के लिए गौरव का कारण बनता है। उत्तर प्रदेश सरकार ने अनुमान जताया है कि इस महाकुंभ में लगभग 35 करोड़ श्रद्धालु प्रयागराज में दर्शन के लिए पहुंचेंगे।
महाकुंभ के इस पहले ‘अमृत स्नान’ के साथ श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा है। पवित्र संगम में स्नान करने के लिए देश-विदेश से आए भक्तों का उत्साह देखते ही बनता है। भक्तों का मानना है कि यहां स्नान करने से उनके पाप धुल जाते हैं और वे मोक्ष की प्राप्ति करते हैं।
महाकुंभ का यह आयोजन न केवल एक धार्मिक मेला है, बल्कि यह भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर, आध्यात्मिक एकता और श्रद्धा का प्रतीक भी है।