Manu Bhaker और D. Gukesh को राष्ट्रपति से मिला मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार, विवाद का विषय बनी थी Manu Bhaker

Manu Bhaker और D. Gukesh को राष्ट्रपति से मिला मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार, विवाद का विषय बनी थी Manu Bhaker
Manu Bhaker और D. Gukesh को राष्ट्रपति से मिला मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार, विवाद का विषय बनी थी Manu Bhaker

नई दिल्ली: ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली मनू भाकर और विश्व शतरंज चैंपियन डी. गुकेश को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रीय खेल दिवस के मौके पर राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में प्रतिष्ठित मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया। इस अवसर पर मनू भाकर और डी. गुकेश के साथ-साथ अन्य दो उत्कृष्ट एथलीटों को भी भारत के सर्वोच्च खेल सम्मान से नवाजा गया।

मनू भाकर का ऐतिहासिक उपलब्धि

मनू भाकर, जो अपनी धैर्य और समर्पण के लिए जानी जाती हैं, उन्होंने पेरिस ओलंपिक में दो कांस्य पदक जीतकर इतिहास रचा। वह एक ही ओलंपिक में एक से अधिक व्यक्तिगत पदक जीतने वाली पहली भारतीय एथलीट बनीं। इस शानदार सफलता ने उनके पहले ओलंपिक में हुए निराशाजनक प्रदर्शन के बाद उनकी शानदार वापसी का प्रतीक भी साबित हुआ।

डी. गुकेश की शतरंज में अद्वितीय सफलता

वहीं, 19 वर्षीय डी. गुकेश, जो चेन्नई से हैं, उन्होंने शतरंज की दुनिया में तहलका मचाते हुए विश्व शतरंज चैंपियनशिप जीतने का गौरव हासिल किया। उन्होंने सिंगापुर में डिंग लिरेन को हराकर यह खिताब जीता, जो पहले भारतीय ग्रैंडमास्टर विश्वनाथन आनंद के पास था। इस जीत से गुकेश ने अपने नाम एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज कराई और शतरंज में भारत का नाम रोशन किया।

अन्य सम्मान प्राप्त एथलीट्स

समारोह में भारत के पुरुष हॉकी टीम के कप्तान हरमनप्रीत सिंह और पेरालंपिक स्वर्ण पदक विजेता प्रवीण कुमार को भी उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया गया। प्रवीण कुमार ने पेरिस पेरालंपिक में हाई जंप में स्वर्ण पदक जीता। इस वर्ष के राष्ट्रीय खेल दिवस पर कुल 32 एथलीटों को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जिनमें पैरा-एथलीट्स की संख्या अधिक रही, जो पेरिस पेरालंपिक में शानदार प्रदर्शन करने के बाद सम्मानित हुए।

विवाद का विषय बनी थी मनू भाकर की शुरुआत

इस वर्ष के राष्ट्रीय खेल दिवस में एक विवाद भी उभरा, जब मानू भाकर का नाम प्रारंभिक नामांकनों की सूची में नहीं था। इस भूल ने मानू के पिता और कोच जसपाल राणा को निराश किया, जिन्होंने खेल अधिकारियों के फैसले पर आपत्ति जताई। हालांकि, मानू भाकर ने इंस्टाग्राम पर इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी और सुझाव दिया कि यह गलती उनके आवेदन प्रक्रिया में हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि उनका मुख्य उद्देश्य भारत का प्रतिनिधित्व करना है, न कि पुरस्कारों के पीछे भागना। यह सम्मान समारोह भारतीय खेलों के लिए एक गौरवपूर्ण दिन था, जिसमें देश के खिलाड़ियों ने अपनी कठिन मेहनत और समर्पण से दुनिया भर में भारत का नाम रोशन किया है।

Digikhabar Editorial Team
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