मिर्जापुर के राजकुमार बने लंदन के मेयर, जानें कौन है राजकुमार मिश्रा

मिर्जापुर के राजकुमार बने लंदन के मेयर, जानें कौन है राजकुमार मिश्रा
मिर्जापुर के राजकुमार बने लंदन के मेयर, जानें कौन है राजकुमार मिश्रा

मिर्जापुर/लंदन: उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के छोटे से गांव भटेवरा से निकले राजकुमार मिश्रा ने विदेश में कामयाबी की एक नई मिसाल पेश की है। महज पांच साल पहले पढ़ाई के लिए लंदन पहुंचे राजकुमार अब बेलिंगबरी सिटी के मेयर बन गए हैं। इस ऐतिहासिक उपलब्धि से न सिर्फ उनके परिवार बल्कि पूरे गांव में जश्न का माहौल है।

भटेवरा गांव से लंदन तक का सफर

राजकुमार मिश्रा, जो मिर्जापुर के किसान मुन्‍ना लाल मिश्रा के बेटे हैं, उन्होंने चंडीगढ़ से B.Tech करने के बाद उच्च शिक्षा के लिए लंदन का रुख किया। वहां उन्होंने कंप्यूटर साइंस में M.Tech किया और फिर ब्रिटेन में ही बस गए। वहीं एक इंजीनियर के रूप में काम करते हुए उन्होंने धीरे-धीरे स्थानीय राजनीति में दिलचस्पी लेनी शुरू की। महज दो महीने पहले उन्होंने लेबर पार्टी जॉइन की और अप्रैल 3 को हुए स्थानीय चुनावों में काउंसलर चुने गए। इसके बाद 12 अप्रैल को उन्हें बेलिंगबरी सिटी का मेयर बना दिया गया। ये उपलब्धि इसलिए भी खास है क्योंकि यह यात्रा एक छोटे गांव से शुरू होकर ब्रिटेन के पावरफुल पद तक पहुंची है।

वीडियो संदेश में जताई खुशी

लंदन से जारी किए गए एक वीडियो संदेश में राजकुमार ने इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए कहा, “भटेवरा जैसे छोटे गांव से निकलकर लंदन का मेयर बनना मेरे लिए गर्व और सम्मान की बात है।”

कौन है राजकुमार मिश्रा

राजकुमार के भाई सुशील कुमार मिश्रा ने बताया कि अब उनका परिवार लंदन में स्थायी रूप से रह रहा है। जब यह खबर भटेवरा गांव पहुंची, तो घर पर ढोल-नगाड़े बजाए गए, मिठाइयां बांटी गईं और ग्रामीणों ने एक-दूसरे को बधाई दी। उनके पिता मुन्‍ना लाल ने भावुक होकर कहा, “वो पढ़ाई करने गया था, अब मेयर बन गया है, ये हमारे लिए गर्व का क्षण है।” राजकुमार की पत्नी अभिषेकता, जो प्रतापगढ़ की रहने वाली हैं और पेशे से इंजीनियर हैं, वो भी उनके साथ लंदन में रहती हैं। दोनों के दो बच्चे हैं। राजकुमार ने ब्रिटिश नागरिकता भी हासिल कर ली है।

राजकुमार मिश्रा की इस उपलब्धि ने गांव के युवाओं को एक नई प्रेरणा दी है। सीमित संसाधनों के बीच मेहनत, शिक्षा और लगन से हासिल की गई यह सफलता इस बात का प्रमाण है कि अगर जज़्बा हो तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं। राजकुमार मिश्रा की कहानी एक उदाहरण है कि किस तरह भारतीय मूल के लोग विदेशों में भी अपनी मेहनत और प्रतिभा के दम पर ऊंचे पदों तक पहुंच सकते हैं। मिर्जापुर के गांव से लंदन के मेयर पद तक की उनकी यात्रा भारत के हर युवा को यह संदेश देती है – हौंसले हों तो सपनों को हकीकत बनने में देर नहीं लगती।

Digikhabar Team
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