महिला सैन्य अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह के विवादित बयान पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस अनुराधा शुक्ला की युगलपीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए बयान को “कैंसर जैसा घातक” बताया और डीजीपी को तत्काल एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए। अदालत ने कहा कि मंत्री ने “गटरछाप भाषा” का प्रयोग किया है, जो किसी भी हालत में स्वीकार्य नहीं है।
कोर्ट की सख्ती के बाद बुधवार देर रात महू पुलिस ने विजय शाह के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली। वहीं, BJP से मंत्री विजय शाह ने FIR के बाद प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह इस मसले पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से चर्चा करेंगे, उसके बाद ही इस्तीफे पर कोई फैसला लेंगे। उन्होंने रात एक गेस्टहाउस में बिताई और सुबह अपने समर्थकों से मुलाकात की।
मानपुर पुलिस ने भी कार्रवाई में देरी की। बताया जा रहा है कि वरिष्ठ अधिकारी शाम 7 बजे से थाने में मौजूद थे, लेकिन एफआईआर का ड्राफ्ट भोपाल से तैयार होकर आया। उसी के आधार पर केस दर्ज हुआ, जिसमें हाईकोर्ट की टिप्पणियों का स्पष्ट उल्लेख किया गया है। मंत्री के खिलाफ जो प्रकरण दर्ज हुआ है, वह देश की अखंडता को खतरे में डालने की धाराओं के तहत है, जो गैर-जमानती है और इसमें अधिकतम सात साल की सजा का प्रावधान है। इसके साथ ही धार्मिक, जातीय और भाषाई वैमनस्य फैलाने की धाराएं भी जोड़ी गई हैं।
गुरुवार को कोर्ट में इस मामले पर आगे की सुनवाई होनी है, जिसमें पुलिस कोर्ट को एफआईआर दर्ज होने की जानकारी देगी। प्रकरण दर्ज होने से पहले मंत्री विजय शाह ने एक वीडियो जारी कर फिर माफी मांगी है, जिसे कोर्ट में भी प्रस्तुत किया जाएगा।
दरअसल, सोमवार को महू के आंबेडकर नगर के रायकुंडा गांव में एक जनसभा को संबोधित करते हुए मंत्री शाह ने भारतीय सेना की वरिष्ठ अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी के लिए आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया था। मीडिया और समाचार पत्रों में आई खबरों को आधार बनाकर हाईकोर्ट की युगलपीठ ने इस पर स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका के रूप में सुनवाई शुरू की।
कोर्ट ने टिप्पणी की कि भारतीय सेना देश की आखिरी ऐसी संस्था है जो ईमानदारी, अनुशासन, त्याग, सम्मान और निःस्वार्थ सेवा का प्रतीक है। कोई भी नागरिक उन्हें देखकर प्रेरणा ले सकता है। मंत्री ने कर्नल सोफिया कुरैशी पर जो टिप्पणी की, वह सिर्फ व्यक्तिगत अपमान नहीं बल्कि सशस्त्र बलों का भी अपमान है।
सुनवाई में कहा गया कि मंत्री शाह ने कर्नल को आतंकवादियों की बहन कहा, जो पहलगाम में 26 भारतीय नागरिकों की हत्या के लिए जिम्मेदार थे। यह न सिर्फ बेहद आपत्तिजनक है, बल्कि समाज में धर्म के आधार पर नफरत फैलाने वाला भी है। मंत्री का बयान, अदालत के अनुसार, प्रथम दृष्टया मुस्लिम समुदाय और अन्य वर्गों के बीच वैमनस्य और घृणा फैलाने वाला प्रतीत होता है।
मंत्री शाह ने हलमा कार्यक्रम में पहलगाम हमले का जिक्र करते हुए कहा था कि जिन आतंकियों ने निर्दोषों को मारा, उन्हीं की बहन को हमने भेजा और उनकी ‘ऐसी-तैसी’ करवाई। बाद में राजनीति गर्माने पर उन्होंने सफाई दी कि सेना में काम करने वाली महिलाएं उनकी बहनों जैसी हैं और उन्होंने देश के दुश्मनों को करारा जवाब दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि उनका इरादा किसी को ठेस पहुंचाने का नहीं था, और यदि किसी को दुख हुआ हो तो वह माफी मांगते हैं।
पार्टी की नाराजगी और विपक्ष के तीखे हमलों के बीच मंत्री विजय शाह की इस टिप्पणी ने राज्य की राजनीति को उबाल पर ला दिया है।