दिल्ली CM अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही है। एक के बाद एक याचिका खारिज होने के बाद अब दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली CM अरविंद केजरीवाल के खिलाफ NIA जांच की सिफारिश की है। उन्होंने कहा है कि केजरीवाल ने बैन किए गए आतंकी संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ से पॉलिटिकल फंडिंग ली है। LG के पास वर्ल्ड हिंदू फेडरेशन के राष्ट्रीय महासचिव आशू मोंगिया की शिकायत आई थी, जिसमें कहा गया था कि अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (AAP) ने 2014 से 2022 के बीच खालिस्तानी आतंकी समूहों से 1.6 करोड़ डॉलर यानी 133 करोड़ रुपए लिए थे, ताकि देवेंद्र पाल भुल्लर की रिहाई कराई जा सके।
जिसके बाद आम आदमी पार्टी ने इन आरोपों का खंडन किया है। AAP नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि चुनावी मौसम में LG साहब हेडलाइन बनाने की कोशिशें कर रहे हैं। ये LG के संविधानिक ऑफिस का दुरुपयोग है। इस मामले में हाई लेवल इन्वेस्टिगेशन की मांग करने वाली एक याचिका को दो साल पहले हाईकोर्ट खारिज कर चुका है। आपको बता दें कि इस लेटर में लिखा है कि 1 मई को LG के पास वर्ल्ड हिंदू फेडरेशन इंडिया के राष्ट्रीय महासचिव आशू मोंगिया ने एक शिकायत भेजी थी। इसमें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर AAP के पूर्व कार्यकर्ता डॉ. मुनीष कुमार रायजादा के कुछ पोस्ट का प्रिंटआउट, एक लेटर और एक पेनड्राइव भी थी। अपनी शिकायत में आशू मोंगिया ने पेनड्राइव के एक वीडियो का जिक्र किया था, जिसमें खालिस्तानी आतंकी और सिख फॉर जस्टिस का फाउंडर गुरपतवंत सिंह पन्नू ने यह दावा किया था कि अरविंद केजरीवाल की पार्टी AAP ने 2014 से 2022 के बीच खालिस्तानी समूहों से 1.6 करोड़ डॉलर यानी 133.60 करोड़ रुपए की फंडिंग ली।
इसमें यह दावा भी किया गया था कि 2014 में केजरीवाल ने न्यूयॉर्क के गुरुद्वारा रिचमंड हिल में खालिस्तान समर्थक सिखों से मुलाकात की थी। इस मीटिंग में केजरीवाल ने वादा किया था कि अगर AAP को खालिस्तानी समूहों से फंडिंग मिलती रहेगी तो वे देवेंद्र पाल भुल्लर की रिहाई में मदद करेंगे। शिकायत में यह भी लिखा है कि मुनीष कुमार रायजादा, जो कि 2014 में AAP कार्यकर्ता थे, उन्होंने X पर कई ट्वीट्स में न्यूयॉर्क के रिचमंड हिल गुरुद्वारे में अरविंद केजरीवाल और सिख नेताओं की मुलाकात की तस्वीरें शेयर की थीं। मुनीष ने अपने ट्वीट्स में ये भी कन्फर्म किया था कि पब्लिक मीटिंग्स के अलावा इस गुरुद्वारे में केजरीवाल ने खालिस्तान समर्थक सिख नेताओं से अकेले में भी मुलाकात की थी।
क्या है सिख फॉर जस्टिस
सिख फॉर जस्टिस यानी SFJ सिखों के लिए अलग खालिस्तान की मांग करने वाला एक संगठन है। 2007 में अमेरिका में इसकी स्थापना की गई थी। गुरपतवंत सिंह पन्नू SFJ के संस्थापकों में से एक है। SFJ अपने अलगाववादी अभियान ‘रेफरेंडम 2020’ के तहत पंजाब को भारत से मुक्त कराने की बात करता है। SFJ ने अपने अगस्त 2018 में लंदन डिक्लेरेशन में भारत से अलग होने और पंजाब को एक स्वतंत्र देश के रूप में फिर से स्थापित करने के सवाल पर दुनियाभर में रहने वाले सिख समुदाय के बीच पहला जनमत संग्रह कराने की घोषणा की थी। जिसके बाद ‘रेफरेंडम 2020’ नाम से बाकायदा एक वेबसाइट बनाई गई थी। इसमें लिखा था- एक बार जब भारत से आजादी को लेकर पंजाबी लोगों के भीतर आम सहमति बन जाएगी तो हम पंजाब को एक देश के रूप में एस्टैब्लिश करने के लक्ष्य के साथ संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय निकायों से संपर्क करेंगे।
क्यों लगा 2019 में SFJ पर प्रतिबंध लगा
आपको बता दें कि पन्नू ब्रिटेन में रह रहे बब्बर खालसा इंटरनेशनल के परमजीत सिंह पम्मा, कनाडा में रहने वाले KTF चीफ हरदीप सिंह निज्जर और इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन के मलकीत सिंह फौजी के संपर्क में है। केंद्र सरकार ने 2019 में अलगाववादी गतिविधियां चलाने के आरोप में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम यानी UAPA के तहत SFJ पर बैन लगाया। गृह मंत्रालय ने अपनी अधिसूचना में कहा कि सिखों के लिए रेफरेंडम की आड़ में SFJ पंजाब में अलगाववाद और उग्रवादी विचारधारा का समर्थन कर रहा है। साथ ही विदेशी धरती पर सुरक्षित ठिकानों से काम कर रहा है और दुश्मन देशों का उसे समर्थन मिल रहा है। पन्नू पर साल 2020 में अलगाववाद को बढ़ावा देने और पंजाबी सिख युवाओं को हथियार उठाने के लिए प्रोत्साहित करने का आरोप लगा। इसके बाद केंद्र सरकार ने 1 जुलाई 2020 को पन्नू को UAPA के तहत आतंकी घोषित किया। 2020 में सरकार ने SFJ से जुड़े 40 से ज्यादा वेबपेज और यूट्यूब चैनलों को बैन किया।