GST काउंसिल द्वारा 21 दिसंबर को पॉपकॉर्न पर अलग-अलग टैक्स दरों को लेकर जो घोषणा की गई, वह सोशल मीडिया पर हंसी का कारण बन गई, लेकिन इसने सिनेमाघरों में पॉपकॉर्न बेचने वालों के लिए confusion भी पैदा कर दी है।
पॉपकॉर्न पर GST को लेकर सरकार ने जो बयान दिया, वह सभी के लिए बहुत ही चौंकाने वाला था। जहां PVR, Inox और Miraj Cinemas जैसे बड़े मल्टीप्लेक्स चेन ने साफ किया कि सिनेमाघरों में बिकने वाले सभी पॉपकॉर्न पर कोई बदलाव नहीं होगा, वहीं एकल स्क्रीन सिनेमाघरों के प्रदर्शक विशेक चौहान ने कहा कि सिनेमाघरों में बिकने वाला कैरेमल पॉपकॉर्न अब 5 प्रतिशत के बजाय 18 प्रतिशत GST के दायरे में आएगा।
PVR Inox के मुख्य वित्तीय अधिकारी गौरव शर्मा ने भी कहा कि सिनेमाघरों में बिकने वाले पॉपकॉर्न पर 5 प्रतिशत GST ही लगेगा, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि वे कैरेमल पॉपकॉर्न पर लागू होने वाले नियमों को लेकर और जानकारी ले रहे हैं।
GST काउंसिल ने अपनी बैठक के बाद पॉपकॉर्न पर GST को लेकर स्पष्टता दी थी। काउंसिल के मुताबिक, जो पॉपकॉर्न नमकीन (salt and spices से मिलकर) के रूप में होता है और जो पहले से पैक नहीं किया गया होता है, उस पर 5 प्रतिशत GST लगता है। वहीं, जो पॉपकॉर्न पहले से पैक और लेबल किया जाता है, उस पर 12 प्रतिशत GST लगता है। और, अगर पॉपकॉर्न में चीनी (caramel) मिलाई जाती है, तो उसे 18 प्रतिशत GST के तहत रखा जाएगा।
GST काउंसिल के अनुसार, जब पॉपकॉर्न में चीनी मिलाकर उसे कैरेमलाइज किया जाता है, तो उसका मुख्य तत्व बदलकर शक्कर का मिठाई (sugar confectionery) बन जाता है। इसी कारण इसे HS 1704 90 90 के तहत 18 प्रतिशत GST के दायरे में रखा जाएगा।
अब सवाल यह उठता है कि यदि कैरेमल पॉपकॉर्न पर GST 18 प्रतिशत हो जाएगा, तो यह बदलाव सिनेमाघरों के प्रदर्शकों और आम जनता के लिए और भी मुश्किलें पैदा करेगा। पहले ही महंगाई से जूझ रहे मिडल क्लास परिवारों के लिए यह नया टैक्स अतिरिक्त बोझ डालेगा। पॉपकॉर्न जैसी छोटी चीज़ पर भी इतना टैक्स लगा दिया गया है, जिससे लोगों को एक साधारण मनोरंजन का खर्च भी और बढ़ जाएगा।
क्या सरकार को यह नहीं सोचना चाहिए था कि आम आदमी पहले ही रोजमर्रा की ज़रूरतों के लिए संघर्ष कर रहा है? अब पॉपकॉर्न जैसी छोटी चीज़ पर इतना टैक्स लगाकर क्या मिडल क्लास परिवार अपना जीवन चला पाएंगे? सरकार को इस पर सोचना चाहिए कि कैसे आम लोगों के लिए ज़िंदगी को और सस्ता और आसान बनाया जा सके, न कि हर चीज़ पर टैक्स लगा कर उनका जीवन और कठिन बना दिया जाए।