नई दिल्ली: 26/11 आतंकी साजिश के गुनहगार तहव्वुर राणा पर शिकंजा कसने के लिए अब देश के दो दिग्गज वकील मैदान में उतर चुके हैं। एनआईए ने सीनियर एडवोकेट दयान कृष्णन को मुकदमे की अगुवाई सौंपी है, वहीं उन्हें सहयोग देंगे स्पेशल प्रॉसीक्यूटर नरेंद्र मान।
दयान कृष्णन कौन हैं?
दयान कृष्णन वही तेज-तर्रार वकील हैं, जिन्होंने अमेरिका में तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की नींव रखी थी। उन्होंने और उनकी टीम ने 2019-20 से इस केस पर काम शुरू किया था और अमेरिकी अदालतों में ऐसा पुख्ता सबूत पेश किया कि राणा की तमाम याचिकाएं खारिज हो गईं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कृष्णन एनआईए की टीम के साथ अमेरिका भी गए थे, हालांकि अमेरिकी कानूनी व्यवस्था के चलते उनकी भूमिका “अनौपचारिक” रही।
एनआईए के एक अधिकारी ने बताया कि कृष्णन की सबसे बड़ी कामयाबी रही राणा के अमेरिकी मामलों और भारतीय आरोपों को अलग-अलग साबित करना, जिससे उसका प्रत्यर्पण मुमकिन हो पाया।
दयान कृष्णन का दमदार ट्रैक रिकॉर्ड:
- निर्भया केस (2012): दिल्ली पुलिस की ओर से स्वयंसेवक के रूप में विशेष लोक अभियोजक बने।
- संसद हमला केस (2001)
- कावेरी जल विवाद
- उफ्फान सिनेमा त्रासदी, नितीश कटारा हत्याकांड, टेलीकॉम घोटाला, गोवा चाइल्ड एब्यूज केस — सब में बड़ी भूमिका।
- NLSIU बेंगलुरु के पूर्व छात्र, 30 साल का कानूनी अनुभव।
कृष्णन ने निर्भया केस के समय कहा था:
“समाज के प्रति मेरी जिम्मेदारी थी। जब मैं समाज के लिए काम कर रहा हूं, तो इससे पैसा नहीं कमाऊंगा।”
नरेंद्र मान की एंट्री भी कम नहीं दमदार:
नरेंद्र मान, जिनके पास तीन दशकों से ज्यादा का कानूनी अनुभव है, उनको गृह मंत्रालय ने 26/11 केस में तीन साल के लिए विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया है।
- दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोरी मल कॉलेज और कैंपस लॉ सेंटर के पूर्व छात्र।
- पहले भी CBI की ओर से दिल्ली हाई कोर्ट में केस लड़ चुके हैं।
अब जब भारत की दो कानूनी मशालें एक साथ राणा पर शिकंजा कसने के लिए उतरी हैं, तो उम्मीद की जा रही है कि 26/11 के पीड़ितों को जल्द न्याय मिलेगा और दुनियाभर में भारत की कानूनी ताकत का डंका बजेगा।