चंडीगढ़: मोहाली कोर्ट ने मंगलवार को पादरी बजिंदर सिंह को 2018 के यौन उत्पीड़न मामले में उम्रभर की सजा सुनाई। अदालत ने आरोपी की दया याचिका को खारिज करते हुए कहा कि एक व्यक्ति, जो खुद को धार्मिक नेता के रूप में प्रस्तुत करता है, वह अपने अनुयायियों के खिलाफ इस प्रकार का अपराध नहीं कर सकता।
पादरी बजिंदर सिंह को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाने की सजा) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत दोषी ठहराया गया है। यह फैसला सात साल बाद आया है, जब इस मामले में पहली बार शिकायत दर्ज की गई थी।
“धार्मिक नेता का रूप धारण करने वाला अपराधी नहीं हो सकता,” कोर्ट का अहम बयान
विक्टिम की वकील, अधिवक्ता अनिल सागर ने कहा, “वह एक आध्यात्मिक नेता के रूप में लोकप्रिय थे, जिन्हें उनके अनुयायी ‘पापा जी’ के नाम से पुकारते थे। जब इस प्रकार का अपराध ऐसे व्यक्ति द्वारा किया जाता है, तो उसे कड़ी सजा मिलनी चाहिए। हम इस सजा से संतुष्ट हैं, और वह अपनी अंतिम सांस तक जेल में रहेगा।”
सात साल की लंबी लड़ाई के बाद न्याय
मामले में पीड़िता के पति ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा, “हमने इस मामले के लिए सात साल संघर्ष किया। वह (आरोपी) कोर्ट को धोखा देता था और विदेश यात्रा करता था, जबकि कोर्ट के आदेशों के बावजूद उसे ऐसा करने की अनुमति नहीं थी। हमले हुए, मेरी जेल में छह महीने बिताए, लेकिन फिर भी हमने उसे सजा दिलाने का संकल्प लिया।”
क्या था मामला?
2018 में ज़ीरकपुर पुलिस स्टेशन में एक महिला ने शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उसने आरोप लगाया कि बजिंदर सिंह ने उसे विदेश भेजने का वादा कर उसके साथ बलात्कार किया और इसका वीडियो भी बनाया। आरोपी ने वीडियो सोशल मीडिया पर डालने की धमकी दी, अगर महिला उसके आग्रहों को स्वीकार नहीं करती।
महिला ने आरोप लगाया कि यह घटना एक प्रार्थना सत्र के बाद हुई, जहां उसे और अन्य लोगों को दुर्व्यवहार और शारीरिक रूप से हमला किया गया था। DSP मोहित कुमार अग्रवाल ने बताया, “शिकायतकर्ता और अन्य लोगों ने बताया कि प्रार्थनाओं के बाद उन्हें दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा। उनकी शिकायत दर्ज कर ली गई है और उचित कार्रवाई की जाएगी।” यह फैसला धार्मिक नेता के रूप में पहचाने जाने वाले एक व्यक्ति के द्वारा किए गए अत्याचारों के खिलाफ समाज में जागरूकता फैलाने का काम करेगा।