नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कर्तव्य भवन-3 का उद्घाटन किया, जो कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट (साझा केंद्रीय सचिवालय) परियोजना के तहत बनने वाले दस भवनों में से पहला है। इस नए प्रशासनिक परिसर का उद्देश्य है कि दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों में फैले केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों को एक स्थान पर लाया जाए, जिससे कामकाज में तेजी, नवाचार और बेहतर समन्वय सुनिश्चित किया जा सके।
किन मंत्रालयों को मिलेगा नया ठिकाना?
कर्तव्य भवन-3 में निम्न मंत्रालयों और विभागों के कार्यालय स्थापित किए जाएंगे:
- गृह मंत्रालय
- विदेश मंत्रालय
- ग्रामीण विकास मंत्रालय
- सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) मंत्रालय
- कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन विभाग (DoPT)
- पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय
- प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (PSA) का कार्यालय
पुराने मंत्रालय भवनों का क्या होगा?
नॉर्थ और साउथ ब्लॉक, जहां वर्तमान में कुछ अहम मंत्रालय स्थित हैं, को खाली करवा कर संग्रहालय में तब्दील किया जाएगा। ये संग्रहालय भारतीय पौराणिक और आधुनिक इतिहास को प्रदर्शित करेंगे।
इसके अतिरिक्त, 1950 से 1970 के दशक के बीच बने शास्त्री भवन, कृषि भवन, उद्योग भवन और निर्माण भवन को अस्थायी रूप से बंद कर दिया जाएगा क्योंकि ये भवन अब पुराने और असंरचनात्मक रूप से अनुपयुक्त माने जा रहे हैं।
कहां होंगे मंत्रालयों के अस्थायी दफ्तर?
केंद्रीय शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बताया कि निर्माण कार्य के दौरान इन मंत्रालयों को दो वर्षों के लिए निम्न स्थानों पर अस्थायी रूप से शिफ्ट किया जाएगा:
- कस्तूरबा गांधी मार्ग
- मिंटो रोड
- नेताजी पैलेस
कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट परियोजना क्या है?
कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट प्रोजेक्ट, सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास योजना का हिस्सा है। इसके तहत 10 आधुनिक भवन बनाए जा रहे हैं। इनमें से भवन संख्या 2 और 3 निर्माणाधीन हैं और अगले महीने तक तैयार हो जाएंगे।
- भवन-10 का काम अप्रैल 2026 तक पूरा होगा।
- भवन-6 और 7 का निर्माण अक्टूबर 2026 तक पूरा होने का लक्ष्य है।
कुछ प्रमुख भवन जैसे नेशनल म्यूज़ियम, नेशनल आर्काइव्स, जवाहरलाल नेहरू भवन (विदेश मंत्रालय), डॉ. अंबेडकर ऑडिटोरियम और वाणिज्य भवन को उनके नवीन निर्माण के कारण बनाए रखा जाएगा।
कर्तव्य भवन-3 का उद्घाटन सिर्फ एक भवन का शुभारंभ नहीं, बल्कि एक नई प्रशासनिक व्यवस्था की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। इससे सरकारी कार्यों में पारदर्शिता, दक्षता और आधुनिकता की नई लहर आएगी, साथ ही सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत राजधानी को नया रूप भी मिलेगा।