बिहार में मतदाता सूची संशोधन को लेकर सियासी संग्राम तेज, क्या है मतदाता सूची संशोधन विवाद

बिहार में मतदाता सूची संशोधन को लेकर सियासी संग्राम तेज, क्या है मतदाता सूची संशोधन विवाद
बिहार में मतदाता सूची संशोधन को लेकर सियासी संग्राम तेज, क्या है मतदाता सूची संशोधन विवाद

पटना: बिहार में 2025 विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। इस बीच, चुनाव आयोग (Election Commission) ने बुधवार को अपने आधिकारिक X (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 326 की झलक साझा की, जिससे यह स्पष्ट किया गया कि मतदाता सूची संशोधन की प्रक्रिया संवैधानिक प्रावधानों के तहत की जा रही है।

EC ने दिया संविधान का हवाला

चुनाव आयोग ने बताया कि अनुच्छेद 324 उसे चुनावों के संचालन और निगरानी की शक्ति देता है, जबकि अनुच्छेद 326 यह सुनिश्चित करता है कि सभी वयस्क भारतीय नागरिकों को मतदान का अधिकार मिले। आयोग के अनुसार, यह विशेष पुनरीक्षण इन्हीं संवैधानिक आधारों पर किया जा रहा है।

2003 के बाद पहली बार विशेष पुनरीक्षण

आयोग ने कहा कि बिहार में पिछली बार विशेष मतदाता सूची संशोधन वर्ष 2003 में हुआ था। इस बार संशोधन की आवश्यकता के पीछे कई प्रमुख कारण बताए गए हैं:

  • तेजी से शहरीकरण
  • बड़ी संख्या में प्रवास
  • पहली बार वोट देने वाले युवा मतदाता
  • अघोषित मृत्यु
  • और अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों के नाम सूची में शामिल होना

चुनाव आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर किसी मतदाता का नाम 1 जनवरी 2003 की मतदाता सूची में है, तो उसे कोई अतिरिक्त दस्तावेज देने की आवश्यकता नहीं है। अन्य नागरिकों को स्वप्रमाणित दस्तावेज अपने और अपने माता-पिता के लिए जमा कराने होंगे।

यह प्रक्रिया 25 जून से शुरू हो चुकी है और निर्धारित समय के अनुसार आगे बढ़ रही है।

  • ड्राफ्ट मतदाता सूची 1 अगस्त को सार्वजनिक की जाएगी।
  • अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित होगी।

पटना में विपक्ष का जोरदार प्रदर्शन

बुधवार को ही पटना में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राजद नेता तेजस्वी यादव के नेतृत्व में विपक्षी गठबंधन INDIA (महागठबंधन) ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय तक विरोध मार्च निकाला। इसके साथ-साथ महागठबंधन द्वारा आहूत राज्यव्यापी बंद के दौरान कई जिलों में रेल और सड़क परिवहन बाधित रहा।

विपक्ष के आरोप

विपक्षी दलों का आरोप है कि यह मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया मूल रूप से हाशिए पर खड़े समुदायों के मतदाताओं को हटाने की एक साजिश है। उन्होंने चुनाव आयोग पर सत्तारूढ़ दल के इशारे पर काम करने का भी आरोप लगाया है।

चुनाव आयोग की सफाई

चुनाव आयोग ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह प्रक्रिया मानक, समावेशी और पूरी तरह संविधान के अनुरूप है। आयोग का कहना है कि यह संशोधन लंबे समय से लंबित था और इसे सभी नागरिकों के लिए सत्यापन और सुधार का अवसर प्रदान करने के लिए लागू किया गया है।

बिहार में मतदाता सूची का यह विशेष पुनरीक्षण अब राजनीतिक टकराव का केंद्र बन चुका है। जहां चुनाव आयोग इसे संवैधानिक प्रक्रिया बता रहा है, वहीं विपक्ष इसे जनगणना की आड़ में चुनावी धांधली की कोशिश मान रहा है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा और अधिक गरमाने की संभावना है।