प्रदोष व्रत, जो भगवान शिव की उपासना के लिए किया जाता है, एक महत्वपूर्ण उपव्रत है जो प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि को शुक्ल और कृष्ण पक्ष दोनों में मनाया जाता है। जब प्रदोष व्रत गुरुवार को होता है, तो उसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जाता है। इस वर्ष मार्च में, गुरु प्रदोष व्रत 27 मार्च 2025 को पड़ रहा है, जो विशेष रूप से महत्व रखता है।
प्रदोष व्रत की तिथि और समय
मार्च में पहला प्रदोष व्रत 11 मार्च 2025 को मनाया गया था। दूसरा और आखिरी प्रदोष व्रत 27 मार्च को पड़ेगा, जो गुरु प्रदोष व्रत होगा। त्रयोदशी तिथि 27 मार्च को सुबह 01:42 बजे शुरू होकर रात 11:03 बजे तक रहेगी। प्रदोष पूजा का शुभ मुहूर्त 27 मार्च को शाम 06:51 बजे से 09:12 बजे तक रहेगा, जो डृिक पंचांग के अनुसार विशेष रूप से शुभ समय है।
प्रदोष व्रत की पूजा विधि
- प्रदोष व्रत के दिन भक्तों को प्रातः जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए।
- पूजा स्थल की सफाई करें और भगवान शिव की मूर्तियों को स्वच्छ जल से स्नान कराएं।
- इसके बाद, संकल्प लें और ध्यान में बैठें।
- एक दीपक जलाएं और मूर्तियों को फूलों से सजाएं। साथ ही, भगवान को प्रसाद और मिठाइयां अर्पित करें।
- भगवान शिव के मंदिर जाएं और भगवान को फूल, चंदन और गाय के दूध का अर्पण करें।
- व्रति को आवश्यकता अनुसार जरूरतमंदों को दान भी करना चाहिए।
- इस दिन, महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करना अत्यधिक लाभकारी माना जाता है।
ध्यान रखने योग्य बातें
प्रदोष व्रत का समय सूर्यास्त के बाद का होता है, जब त्रयोदशी तिथि और प्रदोष काल एक साथ आते हैं। यह समय भगवान शिव की पूजा के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। गुरु प्रदोष व्रत का आयोजन शिव पूजा और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है, और इस दिन भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए भक्तगण विशेष ध्यान और श्रद्धा से पूजा करते हैं।