
प्रयागराज। महाकुंभ 2025 में VIP आगमन और उनकी सुरक्षा व्यवस्था के चलते आम श्रद्धालुओं को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। श्रद्धालुओं के लिए ट्रैफिक प्रतिबंधों, लंबी पैदल यात्राओं और भीड़ नियंत्रण के कारण गंगा-स्नान में कठिनाइयाँ बढ़ गई हैं। इस बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े लेखक रतन शारदा ने VIP दौरों को लेकर सवाल उठाए हैं।
VIP मूवमेंट से आम श्रद्धालुओं को दिक्कत
रतन शारदा ने सोशल मीडिया पर लिखा, “महाकुंभ 2025 में अत्यधिक VIP मूवमेंट हो रहा है। हर दूसरे दिन VIP महा-स्नान के लिए आ रहे हैं, जिससे आम श्रद्धालुओं को सुरक्षा व्यवस्थाओं की वजह से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। क्या VIP के लिए एक निश्चित दिन तय नहीं किया जा सकता, जब वे समूहों में आएं? यह आम लोगों में नाराजगी पैदा कर रहा है।”
महाकुंभ में अब तक 17 दिनों में 15 करोड़ से अधिक श्रद्धालु पवित्र स्नान कर चुके हैं। प्रशासन ने 25 जनवरी से मेला क्षेत्र को नो-व्हीकल ज़ोन घोषित कर दिया है, जिससे श्रद्धालुओं को संगम तक पहुँचने के लिए गाड़ियों को बाहर पार्क कर पैदल यात्रा करनी पड़ रही है। VIP आगमन के दौरान यह यात्रा और भी कठिन हो जाती है, जिससे स्थानीय लोग और श्रद्धालु परेशान हैं।
श्रद्धालु केवल संगम में डुबकी लगाने के लिए अड़े?
हालांकि, कुछ लोगों का मानना है कि समस्या VIP मूवमेंट से नहीं, बल्कि श्रद्धालुओं के केवल त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाने की जिद से उत्पन्न हो रही है। सोशल मीडिया यूजर अमित भाटिया ने लिखा, “मैं हाल ही में महाकुंभ से लौटा हूँ और मैंने देखा कि हर कोई संगम पॉइंट पर ही स्नान करना चाहता है, जबकि अन्य घाट खाली पड़े हैं। मैंने स्वयं सेक्टर 22 स्थित नागेश्वर घाट पर स्नान किया, जो संगम से तीन किलोमीटर नीचे की ओर है। यह घाट बहुत साफ, शांत और लगभग खाली था।”
अखिलेश यादव ने भी उठाए सवाल
समाजवादी पार्टी के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी VIP दौरों से हो रही असुविधा पर सरकार को घेरा। उन्होंने कहा, “महाकुंभ में जनता नहीं, बल्कि व्यवस्थाएँ खास होनी चाहिए। श्रद्धालुओं को VIP आगमन की वजह से एकतरफा ट्रैफिक व्यवस्था का सामना करना पड़ रहा है, जिससे वे परेशान हैं। सरकार को श्रद्धालुओं के लिए पिक-अप और ड्रॉप की बस सेवा शुरू करनी चाहिए।”
अमृत स्नान के लिए सुरक्षा बढ़ी
इस बीच, प्रशासन मौनी अमावस्या पर होने वाले ‘अमृत स्नान’ की तैयारियों में जुटा है, जिसमें बुधवार को एक ही दिन में लगभग 10 करोड़ श्रद्धालुओं के स्नान करने का अनुमान है। जिला प्रशासन ने स्थानीय लोगों से चार पहिया वाहनों के उपयोग को सीमित करने की अपील की है। जिलाधिकारी रवींद्र कुमार मंडार ने कहा, “स्थानीय निवासी केवल दोपहिया वाहनों का उपयोग करें या पैदल चलें, ताकि देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं की सुविधा सुनिश्चित की जा सके।”
मकर संक्रांति स्नान में 3.5 करोड़ श्रद्धालुओं ने किया स्नान
महाकुंभ में अब तक की सबसे बड़ी भीड़ मकर संक्रांति के दिन 14 जनवरी को उमड़ी थी, जब 3.5 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं, संतों और कल्पवासियों ने अमृत स्नान किया था। यह दर्शाता है कि महाकुंभ का यह आयोजन कितना विशाल और महत्वपूर्ण है।
क्या हो सकता है समाधान?
महाकुंभ में VIP दौरे एक परंपरा हैं, लेकिन क्या VIP स्नान के लिए अलग दिन तय किया जा सकता है? क्या प्रशासन अन्य घाटों के महत्व को बढ़ाकर भीड़ नियंत्रण कर सकता है? ये सवाल अब श्रद्धालुओं और संतों के बीच चर्चा का विषय बन गए हैं।
महाकुंभ में श्रद्धालुओं की आस्था और प्रशासन की व्यवस्था के बीच संतुलन बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती है। आने वाले दिनों में सरकार और संत समाज की राय इस दिशा में क्या मोड़ लेती है, यह देखना दिलचस्प होगा।