पंजाब में इस साल मानसून कहर बनकर टूटा है। भीषण बाढ़ के कारण राज्य के 1000 से अधिक गांव जलमग्न हो गए हैं और लगभग 1.71 लाख हेक्टेयर में फैली खड़ी फसल पूरी तरह से नष्ट हो गई है। अब तक 43 लोगों की जान जा चुकी है। केंद्र और राज्य सरकार के शीर्ष नेताओं ने हालात का जायजा लेने के लिए बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया है।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने अमृतसर, गुरदासपुर और कपूरथला जिलों में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण किया और स्थानीय लोगों से मुलाकात की। चौहान ने बाढ़ को ‘जल प्रलय’ करार देते हुए कहा कि नुकसान साफ तौर पर देखा जा सकता है और केंद्र सरकार पीड़ितों के साथ खड़ी है। उन्होंने यह भी बताया कि केंद्र की ओर से दो टीमें पंजाब में आई हैं जो नुकसान का मूल्यांकन कर रिपोर्ट तैयार करेंगी।
राज्य के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी बाढ़ राहत कार्यों की निगरानी तेज कर दी है। उन्होंने घोषणा की कि हर बाढ़ प्रभावित गांव में एक राजपत्रित अधिकारी तैनात किया जाएगा ताकि प्रभावित लोगों की समस्याओं को सीधे प्रशासन तक पहुंचाया जा सके और समाधान शीघ्र सुनिश्चित हो सके। मान ने बताया कि प्रभावित क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर राहत और बचाव कार्य चल रहे हैं और सरकार ने नुकसान का आकलन करने के लिए विशेष गिरदावरी के आदेश जारी किए हैं।
भाखड़ा बांध में जलस्तर अपनी अधिकतम सीमा 1680 फीट से केवल एक फीट नीचे पहुंच चुका है। इस स्थिति को देखते हुए रूपनगर जिला प्रशासन ने सतलुज नदी के किनारे और निचले इलाकों में रहने वाले लोगों से तुरंत सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की है। पानी छोड़े जाने से इन क्षेत्रों में खतरा और बढ़ गया है।
पटियाला जिला प्रशासन ने भी घग्गर नदी के आसपास के इलाकों में अलर्ट जारी किया है और निवासियों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है। सरकार ने राहत कार्यों की गति बढ़ा दी है और पीड़ितों को हर संभव सहायता देने का भरोसा दिलाया है।
शिवराज सिंह चौहान ने किसानों से मुलाकात कर उनकी समस्याएं सुनीं और केंद्र की ओर से हर संभव मदद का आश्वासन दिया। अरविंद केजरीवाल ने भी हालात का जायजा लिया और कहा कि इस कठिन समय में सभी राजनीतिक दलों को एकजुट होकर लोगों की मदद करनी चाहिए।
पंजाब की यह बाढ़ न केवल मानव जीवन पर भारी पड़ी है, बल्कि राज्य की कृषि व्यवस्था को भी झकझोर कर रख दिया है। अब निगाहें केंद्र और राज्य सरकारों पर हैं कि वे किस तेजी और प्रभावी तरीके से राहत और पुनर्वास कार्यों को अंजाम देती हैं।