पुरी शंकराचार्य जी महाराज ने का बड़ा बयान, ‘हर धर्म की उत्पत्ति हिंदू धर्म से हुई है’

पुरी शंकराचार्य जी महाराज ने का बड़ा बयान, 'हर धर्म की उत्पत्ति हिंदू धर्म से हुई है'
पुरी शंकराचार्य जी महाराज ने का बड़ा बयान, 'हर धर्म की उत्पत्ति हिंदू धर्म से हुई है'

नई दिल्ली/पुरी – जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज ने अपने 83वें प्रकटोत्सव पर एक ऐतिहासिक घोषणा करते हुए कहा कि “भारत जल्द ही हिंदू राष्ट्र बनेगा”। इस अवसर पर आयोजित राष्ट्र को संबोधन में देश के मुख्यमंत्री, हिंदू देशों के राजदूत, केंद्रीय शिक्षा मंत्री समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।

शंकराचार्य जी महाराज ने इसे भारत का शास्त्रों में उल्लेखित और अवश्यंभावी भविष्य बताया। उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब देश में सांस्कृतिक पुनर्जागरण और आत्मचिंतन की लहर देखी जा रही है।

भविष्यवाणी: भारत का होगा पुनः अखंड स्वरूप

अब वायरल हो रहे 2018, 2021 और 2022 के उनके वक्तव्यों में उन्होंने वैश्विक संघर्ष, भारत की भू-राजनीतिक स्थिति और यह भविष्यवाणी की थी कि पाकिस्तान, नेपाल और चीन के कब्जे वाले भारतीय भूभाग भारत में पुनः विलीन होंगे, और फिर भारत वैश्विक आध्यात्मिक नेतृत्व संभालेगा।

गौ रक्षा के लिए छोड़ा सिंहासन

शंकराचार्य जी का गौ रक्षा के लिए समर्पण 1966 से ही स्पष्ट है जब उन्होंने करपात्री जी महाराज के नेतृत्व में गौ रक्षा आंदोलन में भाग लिया था और 55 दिन तिहाड़ जेल में रहे। इसी प्रतिबद्धता के चलते उन्होंने पुरी पीठ का सिंहासन, छत्र और छड़ी तक त्याग दी — यह कहते हुए कि जब तक भारत में गोहत्या पूरी तरह से बंद नहीं होती, वे लौटेंगे नहीं। यह परंपरा शंकराचार्य निरंजन देव तीर्थ जी महाराज के पदचिन्हों पर आधारित है।

धर्मसंघ और शास्त्रार्थ की पुनर्स्थापना

स्वामी करपात्री जी द्वारा स्थापित धर्मसंघ के वर्तमान प्रमुख के रूप में वे देशभर में धर्म सभाओं के माध्यम से शास्त्रार्थ परंपरा का पुनर्जागरण कर रहे हैं, ठीक उसी प्रकार जैसे आदि शंकराचार्य ने किया था। उन्होंने IIT, IIM, ISRO, DRDO और BARC जैसे संस्थानों में व्याख्यान देकर सिद्ध किया है कि वैदिक ज्ञान आज भी उतना ही प्रासंगिक है। 1990 में मेरठ के जिमखाना मैदान में उन्होंने “जय श्रीराम” उद्घोष को एक आंदोलनात्मक ऊर्जा प्रदान की — जो आज राष्ट्रव्यापी नारा बन चुका है।

राष्ट्र उत्कर्ष अभियान के अगुआ

250 से अधिक दिन यात्रा कर वे ‘राष्ट्र उत्कर्ष अभियान’ का नेतृत्व कर रहे हैं, जो शास्त्र, विज्ञान और राष्ट्रोत्थान के समन्वय पर आधारित है। मीडिया से दूर रहकर भी उनकी राष्ट्रनिर्माण की तपश्चर्या और वैदिक मार्गदर्शन ने उन्हें 21वीं सदी के मौन क्रांतिकारी संत के रूप में स्थापित कर दिया है। अब देश की दृष्टि उस दिशा में है जिसे वे दशकों से साधना में कह चुके हैं — “भारत एक दिन आध्यात्मिक विश्वगुरु बनकर उभरेगा।”