महिला सुरक्षा पर रोहिणी खडसे का विवादित बयान: “महिलाओं को एक हत्या की छूट मिले”

महिला सुरक्षा पर रोहिणी खडसे का विवादित बयान:
महिला सुरक्षा पर रोहिणी खडसे का विवादित बयान: "महिलाओं को एक हत्या की छूट मिले"

मुंबई: महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) की नेता रोहिणी खडसे ने महिलाओं की सुरक्षा को लेकर एक प्रेरक लेकिन विवादित मांग उठाई है। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर महिलाओं को “बिना सजा के एक हत्या करने की अनुमति” देने की अपील की, जिससे समाज में महिला सुरक्षा को लेकर जागरूकता पैदा की जा सके।

सरकार की उदासीनता पर उठाए सवाल

पूर्व मंत्री एकनाथ खडसे की बेटी रोहिणी खडसे ने महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सरकार की निष्क्रियता पर गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि देशभर में महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन सरकार इस पर सख्त कदम उठाने में नाकाम साबित हो रही है।

इतिहास से जोड़कर दिया तर्क

खडसे ने महारानी तारारानी और पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होल्कर जैसी ऐतिहासिक महिलाओं का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने अपने राज्य और सम्मान की रक्षा के लिए हथियार उठाए थे। उन्होंने सवाल किया कि जब इतिहास में महिलाओं ने आत्मरक्षा के लिए संघर्ष किया, तो आज की महिलाएं पीछे क्यों रहें?

पीड़िता को दोष देने वाली मानसिकता पर हमला

खडसे ने यौन शोषण के मामलों में पीड़िताओं को दोषी ठहराने की प्रवृत्ति पर भी कड़ा प्रहार किया। उन्होंने कहा, “समाज महिलाओं के कपड़ों, उनके बाहर जाने के समय या उनके व्यवहार पर सवाल उठाता है, लेकिन क्या छोटे बच्चों के साथ हो रहे दुष्कर्मों का भी यही कारण है?”

उन्होंने समाज की मानसिकता में बदलाव की जरूरत पर जोर दिया और कहा कि जब तक अपराधियों को कड़ी सजा नहीं मिलेगी, तब तक महिलाओं की सुरक्षा संभव नहीं होगी।

‘शक्ति एक्ट’ लागू करने में देरी पर नाराजगी

खडसे ने महाराष्ट्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि महिला सुरक्षा को मजबूत करने वाले ‘शक्ति एक्ट’ जैसे कड़े कानून अभी तक लागू नहीं हो सके हैं। उन्होंने इस देरी पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब राज्य और केंद्र में एक ही पार्टी की सरकार है, तब भी महिलाओं के लिए सख्त कानून बनाने में इतनी देरी क्यों हो रही है?

खडसे ने अपनी अपील के जरिए समाज में मौजूद बलात्कारियों और अपराधियों को बचाने वाली मानसिकता को खत्म करने की बात कही। उन्होंने कानून व्यवस्था की निष्क्रियता पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर कानून सही से काम करता, तो महिलाओं को अपनी सुरक्षा के लिए इस तरह की अपील करने की जरूरत नहीं पड़ती।

निष्कर्ष

खडसे की यह मांग भले ही प्रतीकात्मक हो, लेकिन यह महिलाओं की सुरक्षा को लेकर देश में व्याप्त आक्रोश और निराशा को दर्शाती है। क्या सरकार इस अपील को एक सख्त कानून बनाने के संदेश के रूप में लेगी, या इसे महज एक विवादित बयान मानकर नजरअंदाज कर देगी?

Digikhabar Team
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