पटना: बिहार विधानसभा में बुधवार को विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया को लेकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच जबरदस्त हंगामा देखने को मिला। राजद नेता तेजस्वी यादव ने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी SIR के खिलाफ नहीं है, लेकिन इसके संचालन में पारदर्शिता और निष्पक्षता की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग को यह प्रक्रिया निष्पक्ष तरीके से करनी चाहिए थी।
मॉनसून सत्र के तीसरे दिन विपक्षी विधायकों ने काले कपड़े पहनकर विरोध प्रदर्शन किया। विधानसभा में बोलते हुए तेजस्वी यादव ने कहा कि “लालू जी हमेशा कहा करते थे कि संविधान में 18 वर्ष की उम्र पूरी करने वाले सभी नागरिकों को मतदान का अधिकार है।”
तेजस्वी यादव ने कहा कि, “हमने चार प्रमुख मुद्दों पर सवाल उठाए थे। सबसे पहला मुद्दा समय को लेकर था। अगर सरकार को SIR कराना ही था, तो लोकसभा चुनाव के ठीक बाद ही इसकी प्रक्रिया शुरू कर देनी चाहिए थी।”
क्या है SIR और विवाद की जड़?
SIR यानी विशेष गहन पुनरीक्षण, निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता सूची को अद्यतन करने की एक प्रक्रिया है, जिसमें नए मतदाता जोड़े जाते हैं और पुराने, गलत या मृत मतदाताओं के नाम हटाए जाते हैं। विपक्ष का आरोप है कि यह प्रक्रिया राजनीतिक लाभ उठाने के लिए जल्दबाजी में और पक्षपातपूर्ण तरीके से शुरू की गई, जिससे चुनावी निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो गए हैं।
तेजस्वी ने कहा कि SIR की प्रक्रिया सही होनी चाहिए, ताकि किसी भी वर्ग या समुदाय को जानबूझकर वंचित न किया जाए।
भाजपा का पलटवार
वहीं भाजपा ने आरोप लगाया कि राजद बिना वजह राजनीति कर रहा है और SIR की प्रक्रिया को बाधित करना चाहता है। भाजपा नेताओं का कहना है कि निर्वाचन आयोग स्वतंत्र संस्था है और वह अपने अधिकार क्षेत्र में काम कर रही है।
बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले SIR प्रक्रिया एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनकर उभरा है, जिस पर सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के बीच टकराव तेज हो गया है। तेजस्वी यादव की पारदर्शिता और निष्पक्षता की मांग ने इस बहस को और गहरा कर दिया है। अब देखना यह होगा कि विधानसभा में चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच क्या सरकार किसी तरह की सफाई या प्रक्रिया में बदलाव लाती है।