नई दिल्ली: स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) के अधिकारियों की कथित मिलीभगत से अवॉन स्टील इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड (Avon Steel) को सस्ते दामों पर कच्चा माल बेचने के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने FIR दर्ज की है। CBI ने यह FIR लोकपाल की चेतावनी के बाद दर्ज की, जिसमें आरोप लगाया गया कि SAIL के अधिकारियों ने अवॉन को रियायती दामों पर कच्चा माल बेचा, जिससे कंपनी को लगभग 263 करोड़ रुपये से 370 करोड़ रुपये तक का नुकसान हुआ।
यह मामला उस समय का है जब SAIL के अधिकारियों ने अवॉन को 2,65,820 टन सेमी-ब्लूम (semi-bloom) बेच दिया था, जो एक अधूरी स्टील उत्पाद है, और इसे बहुत कम कीमत पर बेचा गया। रिपोर्टों के मुताबिक, यह विक्रय 2020 से 2022 के बीच हुआ। SAIL को इन रियायती दामों पर माल बेचने से भारी नुकसान हुआ, जबकि कंपनी के पास उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों को बाजार में महंगे दामों पर बेचने का अवसर था।
SAIL अधिकारियों पर आरोप
लोकपाल के आदेश के अनुसार, इस मामले में SAIL के तत्कालीन कार्यकारी निदेशक (सेल्स और ITD), महेश चंद्र अग्रवाल और पूर्व अध्यक्ष सोम मंडल पर आरोप हैं कि दोनों ने अपने पद का दुरुपयोग किया और अवॉन स्टील को बेहद सस्ते दामों पर स्टील के उत्पादों की आपूर्ति की।
लोकपाल के प्रारंभिक आदेश में कहा गया था कि SAIL के अधिकारियों ने उचित सावधानी नहीं बरती, जिससे अवॉन को अन्य ग्राहकों की तुलना में बहुत सस्ते दामों पर माल मिला। इसके कारण कंपनी को वित्तीय नुकसान हुआ। लोकपाल ने यह भी सवाल उठाया है कि क्या SAIL के सिस्टम को जानबूझकर इस तरह से मोड़ा गया था कि नुकसान हुआ और कुछ निजी कंपनियों को इसका फायदा हुआ।
जांच की स्थिति और CBI FIR
लोकपाल की सख्त चेतावनी के बाद, CBI ने 25 जुलाई 2025 को इस मामले में FIR दर्ज की। FIR में भारतीय दंड संहिता की धारा 120B (साजिश) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7, 8 और 9 के तहत आरोप लगाए गए हैं। CBI ने सैल के अधिकारियों और अन्य व्यक्तियों के खिलाफ जांच शुरू कर दी है।
क्या कहता है CVC और मंत्रालय?
चीजों की जांच करते हुए, CVC और मंत्रालय ने यह पाया कि SAIL को अवॉन से अधिक लाभ प्राप्त हो सकता था, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के कारण कंपनी ने इसे सस्ते दामों पर बेचा। CVC ने यह भी कहा कि इस मामले में कुछ अधिकारियों की संलिप्तता की संभावना को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
मंत्रालय ने कहा कि मामले की गहरी जांच होनी चाहिए और इसके लिए CBI को जिम्मेदारी दी गई है ताकि दोषियों का पता चल सके। मंत्रालय ने SAIL से यह भी कहा कि वह मामले से संबंधित सभी अधिकारी और दस्तावेज़ों को प्रस्तुत करें।
क्या कार्रवाई हुई है?
इस पूरे मामले में 17 SAIL अधिकारियों का नाम सामने आया है, जिनसे अवॉन को माल बेचा गया था। इनमें से 13 अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया, जबकि 4 अन्य अधिकारी पहले ही सेवानिवृत्त हो चुके थे। महेश चंद्र अग्रवाल और सोम मंडल उन अधिकारियों में शामिल थे, जिन्होंने इस पूरे मामले में अपनी भूमिका निभाई थी।
कई सवाल उठ रहे हैं
इस पूरे विवाद ने एक बड़ा सवाल खड़ा किया है कि क्या SAIL जैसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम में सिस्टम और अधिकारियों के बीच गड़बड़ी हो सकती है। VIPPL और अवॉन के मामलों में स्पष्ट रूप से यह देखा गया है कि कुछ निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए सार्वजनिक धन का नुकसान हुआ।
सांसद सोम मंडल की स्थिति
इसी बीच, सोम मंडल, जिन्होंने SAIL की अध्यक्षता की थी, ने इस मामले में CBI की जांच के आदेश के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। जुलाई 2024 में उच्च न्यायालय ने सोम मंडल के खिलाफ जांच पर रोक लगा दी, हालांकि CBI को अन्य मामलों में जांच जारी रखने की अनुमति दी गई थी।
आगे की जांच
CBI की जांच और आगामी अदालत की सुनवाई से यह तय होगा कि इस पूरे मामले में किसकी गलती है और दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी। जांच की प्रगति और सरकार की ओर से उठाए गए कदमों पर जनता की निगाहें रहेंगी।