बिहार की ज़मीन सिर्फ अनाज उपजाने के लिए ही नहीं जानी जाती, बल्कि यह मिट्टी सदियों से कला, संस्कृति और परंपराओं की भी साक्षी रही है। अब नीतीश सरकार ने इस सांस्कृतिक विरासत को संजोने और किसानों को सशक्त करने की दिशा में कुछ बड़े और सराहनीय फैसले लिए हैं। कैबिनेट की बैठक में कई अहम योजनाओं को मंज़ूरी दी गई है, जिनका असर सीधे ज़मीन से जुड़े लोगों पर होगा।
बुजुर्ग कलाकारों को मिलेगा ₹3000 मासिक पेंशन
राज्य सरकार ने उन बुजुर्ग कलाकारों के लिए पेंशन योजना की घोषणा की है, जिन्होंने वर्षों तक अपनी कला से समाज को समृद्ध किया, मगर आज आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। अब ऐसे ज़रूरतमंद कलाकारों को हर महीने ₹3000 की पेंशन दी जाएगी। यह न सिर्फ एक आर्थिक सहयोग है, बल्कि उनके योगदान को सम्मान देने की संवेदनशील पहल भी है।
प्राकृतिक खेती को मिलेगा बढ़ावा
खेती-किसानी करने वाले किसानों के लिए भी सरकार ने राहत भरी योजना पेश की है। ‘नेशनल मिशन ऑन नेचुरल फार्मिंग’ के तहत अब बिहार में रासायनिक मुक्त, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। इस योजना पर 2025-26 तक कुल ₹36.35 करोड़ खर्च किए जाएंगे। इसका उद्देश्य मिट्टी की उर्वरता को बचाना और किसानों को टिकाऊ खेती के लिए प्रेरित करना है।
फिर से जीवित होगी गुरु-शिष्य परंपरा
बिहार की लोककला और हस्तकला सदियों से गुरु-शिष्य परंपरा पर टिकी रही है। अब सरकार ने ‘मुख्यमंत्री गुरु-शिष्य परंपरा योजना’ को मंज़ूरी दे दी है, जिसके तहत लोकगीत, बांस शिल्प, चित्रकला, काष्ठकला जैसी पारंपरिक विधाओं में गुरु अपने शिष्यों को प्रशिक्षण देंगे। इसके लिए सालाना ₹1.11 करोड़ का प्रशासनिक खर्च स्वीकृत किया गया है।
इन फैसलों से स्पष्ट है कि बिहार सरकार न सिर्फ अपनी सांस्कृतिक जड़ों को संजोने में जुटी है, बल्कि किसान और कलाकार समुदाय को नई ऊर्जा देने का प्रयास भी कर रही है। यह पहल आने वाले वर्षों में राज्य की पहचान को और अधिक समृद्ध बनाएगी।