कानपुर: आईआईटी कानपुर में शोध छात्रों द्वारा आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं ने गंभीर चिंता पैदा कर दी है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने इसे मानसिक स्वास्थ्य संकट करार देते हुए तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।
उन्होंने कहा, “यह एक गंभीर मामला है। हम युवाओं के लिए उज्ज्वल भविष्य नहीं बना सकते यदि हम उन्हें ऐसे हालात में छोड़ दें, जहां वे प्रभावी रूप से कार्य करने में असमर्थ हों।”
थरूर ने मानसिक तनाव और बढ़ते अपराध को जोड़ा
थरूर ने युवाओं में बढ़ते तनाव और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर चेतावनी दी। उन्होंने कहा, “तनाव के बढ़ते स्तर और इससे उत्पन्न मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है— अन्यथा यह या तो सामूहिक हत्याओं (जैसा कि हाल ही में तिरुवनंतपुरम में हुआ) या छात्र आत्महत्याओं (जैसे यहां आईआईटी कानपुर में) के रूप में सामने आएगा।”
18 महीनों में पांच पीएचडी छात्रों ने दी जान
थरूर की यह प्रतिक्रिया ऑल इंडिया रिसर्च स्कॉलर्स एसोसिएशन (AIRSA) की उस चिट्ठी के बाद आई है, जिसमें आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. मनींद्र अग्रवाल से छात्रों की आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं पर जवाब मांगा गया था।
ताजा मामला पीएचडी स्कॉलर अंकित यादव की आत्महत्या का है, जो पिछले 18 महीनों में आईआईटी कानपुर में आत्महत्या करने वाले पांचवें शोधार्थी हैं। इससे पहले आत्महत्या करने वाले शोध छात्र हैं:
- डॉ. पल्लवी चिल्का (दिसंबर 2023)
- विकास मीना (जनवरी 2024)
- प्रियंका जैवाल (जनवरी 2024)
- प्रगति (अक्टूबर 2024)
- अंकित यादव (फरवरी 2025)
शोध छात्रों पर बढ़ता दबाव
AIRSA ने इन दुखद घटनाओं को शोधार्थियों पर अत्यधिक शैक्षणिक दबाव, आर्थिक तंगी, मेंटॉरशिप की कमी और मानसिक स्वास्थ्य सहायता की अनुपलब्धता से जोड़ा है।
संस्था ने आईआईटी कानपुर प्रशासन से तत्काल सुधार की मांग की है, जिसमें शामिल हैं:
- एक समर्पित मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रणाली की स्थापना
- नियमित काउंसलिंग और मेंटॉरशिप कार्यक्रम लागू करना
- पारदर्शी शिकायत निवारण तंत्र विकसित करना
- शोधार्थियों के लिए बेहतर वित्तीय और सामाजिक समर्थन
- आत्महत्या की घटनाओं की स्वतंत्र जांच कर संस्थागत जवाबदेही सुनिश्चित करना
AIRSA ने आईआईटी कानपुर प्रशासन से ठोस और पारदर्शी कदम उठाने की अपील की है। संस्था का कहना है कि इन युवा शोधार्थियों की मौत केवल व्यक्तिगत त्रासदी नहीं, बल्कि पूरी अकादमिक व्यवस्था की सामूहिक विफलता है।
संस्था ने पीड़ित परिवारों और छात्रों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए प्रशासन से तत्काल सुधारात्मक कदम उठाने की मांग की है, ताकि एक सुरक्षित और सहयोगी शैक्षणिक माहौल सुनिश्चित किया जा सके।