कुमार विश्वास के बयान पर शंकराचार्य का पलटवार, कहा – ‘उन्हें शास्त्रों का ज्ञान नहीं, गूगल से पढ़े हैं तथ्य’

कुमार विश्वास के बयान पर शंकराचार्य का पलटवार, कहा – 'उन्हें शास्त्रों का ज्ञान नहीं, गूगल से पढ़े हैं तथ्य'
कुमार विश्वास के बयान पर शंकराचार्य का पलटवार, कहा – 'उन्हें शास्त्रों का ज्ञान नहीं, गूगल से पढ़े हैं तथ्य'

नई दिल्ली/इटावा: हाल ही में प्रसिद्ध कवि और कथावाचक कुमार विश्वास द्वारा महर्षि वाल्मीकि और वेदव्यास की जाति को लेकर की गई टिप्पणी पर विवाद गहराता जा रहा है। अब इस मुद्दे पर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कुमार विश्वास को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उन्हें शास्त्रों का कोई गहन ज्ञान नहीं है, और जो कुछ उन्होंने कहा है, वह गूगल से पढ़ा हुआ है।

कुमार विश्वास का क्या था बयान?

कुमार विश्वास ने एक कार्यक्रम में कहा था,

“ब्राह्मणों की सारी कर्म-कांड पद्धतियां जिन दो किताबों पर हैं, वो किनकी लिखी हुईं हैं? एक महर्षि वाल्मीकि और दूसरे वेदव्यास. दोनों ब्राह्मण नहीं, दोनों क्षत्रिय नहीं हैं, दोनों वैश्य नहीं हैं. हम सबका काम चल रहा है।”

उनके इस बयान को लेकर धार्मिक जगत और ब्राह्मण समाज में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली।

शंकराचार्य का जवाब

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने पलटवार करते हुए कहा,

“कुमार विश्वास आजकल रामकथा कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने शास्त्रों का अध्ययन नहीं किया है। उन्हें वाल्मीकि और वेदव्यास की जाति की सही जानकारी नहीं है। अगर उन्होंने शास्त्र पढ़े होते, तो ऐसा बयान नहीं देते।”

उन्होंने स्पष्ट किया कि वाल्मीकि जी और वेदव्यास जी दोनों ब्राह्मण थे, और इसके प्रमाण शास्त्रों में उपलब्ध हैं।

क्या था पूरा विवाद?

22 जून को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के दादरपुर गांव में यादव जाति के कथावाचक मुकुट मणि सिंह और उनके साथियों के साथ कथित रूप से ब्राह्मण समुदाय के लोगों ने जातिगत आधार पर दुर्व्यवहार किया। मुकुट मणि सिंह के अनुसार, उनकी जाति पूछने के बाद उन्हें अपमानित किया गया, चोटी काटी गई, सिर मुंडवा दिया गया और एक महिला के पैर पर नाक रगड़ने के लिए मजबूर किया गया। उनके वाद्य यंत्र भी तोड़ दिए गए।

अखिलेश यादव ने किया सम्मानित

घटना के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कथावाचक और उनके साथियों को लखनऊ बुलाकर उनका सम्मान किया। उन्हें ढोलक और हारमोनियम गिफ्ट किए गए, कथा सुनवाई गई और आर्थिक सहायता के रूप में 51-51 हजार रुपये देने की घोषणा की गई। मौके पर 21-21 हजार रुपये नकद दिए गए।

यह मामला अब धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक बहस का मुद्दा बन चुका है। एक ओर कुमार विश्वास के बयान से ब्राह्मण समाज में असंतोष है, वहीं दूसरी ओर कथावाचकों के साथ हुई बदसलूकी ने जातिगत भेदभाव के सवालों को फिर से उभार दिया है।