हाल ही में एक अमेरिकी सैन्य विमान द्वारा अमृतसर में अवैध दस्तावेज़ के बिना रह रहे भारतीयों को वापस भेजने के बाद कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। यह घटना अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में वापसी के बाद भारतीयों का पहला निर्वासन है, जो अमेरिका में बिना वैध दस्तावेज़ के रह रहे थे।
भारतीय प्रवासियों के साथ अमानवीय व्यवहार
अमृतसर के सांसद गुरजीत सिंह औजला ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “अमेरिका से अवैध भारतीय प्रवासियों को लेकर अमेरिकी सेना का एक प्लेन अमृतसर आया है। इसके अंदर जो तस्वीरें सामने आई हैं, वो बहुत शर्मनाक हैं। जिस तरीके से भारतीय नागरिकों को हथकड़ी और पैर में चेन लगाकर भेजा गया है, यह बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है। यह सरकार की नाकामी भी है।”
औजला ने आगे कहा, “सरकार को यह जानकारी थी कि ऐसी फ्लाइट आ रही है, और इसके बारे में कोई न कोई बातचीत हुई होगी। ऐसे में इन प्रवासियों को कम से कम कॉमर्शियल विमान के जरिए वापस भेजा जाना चाहिए था। ये कोई कुख्यात अपराधी नहीं हैं। उन्होंने वहां कोई अपराध नहीं किया है। वह सिर्फ एक सीमा पार कर दूसरे देश में चले गए हैं।”
उन्होंने इस पूरे मामले को अत्यंत शर्मनाक बताते हुए कहा कि पहले इस तरह के निर्वासन होते थे, लेकिन इस बार जो तस्वीरें सामने आई हैं, वे निश्चित रूप से बेहद असंवेदनशील और अमानवीय हैं। औजला ने लोकसभा अध्यक्ष को नियम 197 के तहत ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का नोटिस देते हुए सरकार से इस मुद्दे पर जवाब देने की मांग की है।
कांग्रेस सांसदों की प्रतिक्रिया
इस मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी के नेता भी काफी विरोध जता रहे हैं। लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के चीफ व्हीप मनिकम टैगोर ने इस मुद्दे पर कार्य स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है। उन्होंने इसे ‘अमानवीय’ करार दिया और आरोप लगाया कि अमेरिकी सरकार के इस कदम से भारतीय नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन हुआ है। अंग्रेजी अख़बार ‘द हिंदू’ के मुताबिक़, टैगोर ने कहा, “इस तरह का बर्ताव न केवल भारतीय नागरिकों के प्रति घृणा का प्रतीक है, बल्कि यह मानवाधिकारों का उल्लंघन भी है।”
कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने भी इस पर कार्य स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया। गोगोई ने इस घटना को दुखद और अपमानजनक बताया और कहा, “पिछले साल मैंने अवैध प्रवास और बड़ी संख्या में लोगों के विदेश जाने के मुद्दे को उठाया था। ये परिस्थितियाँ देश में पर्याप्त अवसरों और समर्थन की कमी की वजह से पैदा हुई हैं।” गोगोई ने यह भी कहा कि कई लोग हताशा और संघर्ष के कारण ऐसे कदम उठाने को मजबूर होते हैं ताकि वे और उनके परिवार एक बेहतर भविष्य की ओर बढ़ सकें।
गोगोई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “यह देश के अंदर पर्याप्त अवसरों और रोजगार की कमी का नतीजा है, जो नागरिकों को खतरों से भरे कदम उठाने के लिए मजबूर करता है। अगर हमारे देश में ज्यादा अवसर होते, तो शायद ये स्थिति पैदा नहीं होती।”
कांग्रेस ने उठाया सरकार से सवाल
कांग्रेस पार्टी ने इस मामले में भारतीय सरकार से सवाल किया है कि आखिरकार यह क्यों हुआ और सरकार ने इस विषय पर कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाया। पार्टी का कहना है कि सरकार को इन नागरिकों के बारे में सोचना चाहिए था और यदि उन्हें वापस भेजा ही जा रहा था, तो इसका तरीका इतना अमानवीय क्यों था।
सरकार की प्रतिक्रिया
हालांकि, सरकार की तरफ से इस मुद्दे पर फिलहाल कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है, लेकिन कांग्रेस नेताओं ने सरकार से मांग की है कि इस मामले की पूरी जांच की जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं का पुनरावृत्ति न हो।
अमेरिका से भारतीय नागरिकों के निर्वासन का यह मामला अब भारतीय संसद में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन चुका है। इस समय संसद का बजट सत्र चल रहा है और विपक्ष ने इस मुद्दे को सदन में उठाने का फैसला किया है। यह भी संभावना जताई जा रही है कि विपक्षी दल इस मामले को दोनों सदनों में उठाएंगे और सरकार से जवाब मांगेंगे।
अमेरिका के अधिकारियों से संभावित प्रतिक्रिया
अमेरिकी अधिकारियों द्वारा इस निर्वासन की प्रक्रिया को लेकर कोई स्पष्ट बयान अभी तक सामने नहीं आया है। हालांकि, अमेरिकी प्रशासन ने अपने देश में अवैध प्रवासियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की नीति बनाई है, खासकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के बाद। यह देखना होगा कि अमेरिकी सरकार इस मुद्दे पर क्या प्रतिक्रिया देती है, और क्या वह अपनी निर्वासन नीति को लेकर किसी बदलाव की घोषणा करती है या नहीं।
निष्कर्ष
अमेरिका से अवैध भारतीय प्रवासियों का निर्वासन एक संवेदनशील और विवादास्पद मामला बन चुका है। कांग्रेस पार्टी ने इसे लेकर सरकार पर सवाल उठाए हैं और इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। इस घटना के बाद भारतीय संसद में यह मुद्दा और भी गंभीर हो गया है। अब यह देखना होगा कि सरकार इस पर क्या कदम उठाती है और विपक्ष इस मुद्दे को कैसे सदन में उठाता है।
इस पूरे घटनाक्रम ने भारत और अमेरिका के बीच प्रवासन और संबंधित मुद्दों पर एक नई बहस शुरू कर दी है। इसके साथ ही, यह एक संकेत भी है कि यदि देश में रोजगार और अवसरों की स्थिति में सुधार नहीं किया गया, तो भविष्य में ऐसे मुद्दे और अधिक गंभीर हो सकते हैं।