जम्मू: कड़ी सुरक्षा और श्रद्धा के माहौल के बीच श्री अमरनाथ यात्रा 2025 का शुभारंभ बुधवार, 2 जुलाई को जम्मू से हो गया। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भगवती नगर आधार शिविर से पहले जत्थे को रवाना किया। इस पहले जत्थे में 3,500 से अधिक श्रद्धालु शामिल थे, जो “हर हर महादेव” और “बम बम भोले” के जयघोष के साथ अमरनाथ गुफा की ओर बढ़े।
38 दिनों तक चलने वाली यह यात्रा 3,880 मीटर की ऊंचाई पर स्थित पवित्र अमरनाथ गुफा तक पहुंचती है। श्रद्धालु दो प्रमुख मार्गों से यात्रा करते हैं — पारंपरिक नुनवान–पहलगाम (48 किमी) और छोटा लेकिन कठिन बालटाल मार्ग (14 किमी)। इस बार अधिकांश श्रद्धालु बालटाल रूट से यात्रा कर रहे हैं।
चाक-चौबंद सुरक्षा व्यवस्था
हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद अमरनाथ यात्रा को लेकर सुरक्षा और सतर्कता काफी बढ़ा दी गई है। इस बार यात्रा मार्गों की सुरक्षा के लिए 581 कंपनियों को तैनात किया गया है, जो पिछले साल की तुलना में अधिक है।
इनमें 221 कंपनियां CRPF की हैं, जो जम्मू से बालटाल और पहलगाम रूट की सुरक्षा में लगी हैं, जबकि 360 कंपनियां SSB, ITBP और अन्य केंद्रीय बलों की हैं। आईटीबीपी को अमरनाथ गुफा की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी दी गई है। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर पुलिस, सेना और विशेष दस्तों को यात्रा मार्गों के प्रत्येक संवेदनशील बिंदु पर तैनात किया गया है।
CRPF की K-9 डॉग स्क्वाड भी जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे पर तैनात की गई है। साथ ही, उधमपुर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में हाईवे पेट्रोलिंग को भी सख्ती से अंजाम दिया जा रहा है।
भारी संख्या में पंजीकरण
इस वर्ष अमरनाथ यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। अब तक 3.3 लाख से अधिक श्रद्धालु ऑनलाइन पंजीकरण करा चुके हैं, जबकि 4,000 से अधिक लोगों ने ऑफलाइन टोकन भी प्राप्त किए हैं।
धार्मिक महत्त्व
पौराणिक मान्यता है कि अमरनाथ गुफा वही स्थान है जहां भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य सुनाया था। कहा जाता है कि यह अमर कथा दो कबूतरों ने भी सुनी थी और वे भी अमर हो गए। यह भी विश्वास है कि अमरनाथ में बाबा बर्फानी के दर्शन करना काशी में शिव के दर्शन से दस गुना और प्रयाग से सौ गुना अधिक पुण्यदायक होता है।
निष्कर्ष
अमरनाथ यात्रा केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि आस्था, विश्वास और साहस का प्रतीक बन चुकी है। भारी सुरक्षा व्यवस्था, उत्साही श्रद्धालुओं की भीड़ और भक्ति के माहौल के बीच यह यात्रा एक बार फिर उत्तर भारत की सबसे बड़ी वार्षिक धार्मिक यात्राओं में शामिल हो चुकी है।