15 जुलाई 2025 को दोपहर 3:02 बजे (IST), ग्रुप कप्तान शुभांशु शुक्ला की SpaceX के Crew Dragon कैप्सूल “Grace” का पैसिफिक महासागर के पास कैलिफोर्निया तट पर सुरक्षित जल में उतरना (स्प्लैशडाउन) हुआ। मिशन के दौरान कुल 18 दिन अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर बिताए गए, जिसके बाद शुक्ला को SpaceX की रिकवरी टीम द्वारा तुरंत कैप्सूल से बाहर निकालकर स्थिर स्थिति में पाया गया।
ISRO (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) ने स्पष्ट किया है कि अब वह एक सात दिन की “पोस्ट-मिशन मेडिकल इवैल्यूएशन” प्रक्रिया से गुजर रहे हैं, जिसमें कार्डियो-वैस्कुलर टेस्ट, मस्कूलोस्केलेटल (मांसपेशी-हड्डी संबंधी) टेस्ट, मनोवैज्ञानिक जांच व डेटा संग्रह शामिल हैं। इस अवधि का उद्देश्य पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण में पुन: समायोजन और पूर्ण स्वस्थ लाभ सुनिश्चित करना है।
मिशन की मुख्य बातें
कैप्सूल रिकवरी
SpaceX की टीम ने बहुत जल्दी और कुशलता से कैप्सूल को पानी से बाहर निकाला, जिससे शुक्ला को सुरक्षित हालात में निकाला गया ।
अंतरिक्ष में उपलब्धियां
शुभांशु ने ISS पर 60 से अधिक विज्ञान प्रयोगों में हिस्सा लिया, जिनमें मजीका गठन, माइक्रोग्रैविटी में बीजों की वृद्धि, माइक्रोएल्गी पर अध्ययन, सेल-हीलिंग, मानसिक प्रदर्शन और जनित विश्लेषण शामिल थे। खास तौर पर, ISRO द्वारा डिजाइन किए गए सात प्रयोगों में माइक्रोग्रैविटी में जीवन विज्ञान, सामग्री विज्ञान और तकनीकी परीक्षण शामिल थे, जो ‘गगनयान’ मिशन की तैयारी के लिए अहम माने जा रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग
Axiom Mission 4 एक निजी-नासा-ISRO साझेदारी थी, जिसमें NASA और SpaceX के साथ मिलकर कार्य किया गया। Shukla ने मिशन ऑपरेशंस की अंतरिक्ष में होने वाली चुनौतियों को समझा, और अंतर्राष्ट्रीय दल के साथ मिलकर वैज्ञानिक, तकनीकी व नागरिक संगठनों को मजबूत समर्थन दिया।
- इसरो की भूमिका
ISRO ने मिशन के लिए लगभग 550 करोड़ रुपये का निवेश किया और मिशन संचालन में सक्रिय भागीदारी निभाई। फ्लोरिडा (केनेडी स्पेस सेंटर) और टेक्सास (जॉनसन स्पेस सेंटर) में ISRO टीम मौजूद थी। इससे उन्हें मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन की जटिलताओं का अनुभव मिला, जो भारत की भविष्य की Gaganyaan और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (Bharatiya Antariksha Station) योजनाओं के लिए महत्वपूर्ण है।
ग्रुप कप्तान शुभांशु शुक्ला का यह मिशन भारतीय मानव अंतरिक्ष अन्वेषण में मील का पत्थर है। उनका सुरक्षित वापसी और हो रही मेडिकल जांच भारत की तकनीकी दक्षता और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में वृद्धि का सकारात्मक संदेश है। इस सफलता से अगली पीढ़ी में विज्ञान, अंतरिक्ष और नवाचार के प्रति नई प्रेरणा जागेगी।