देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए बाहरी लोगों के कृषि और बागवानी भूमि खरीदने पर प्रतिबंध लगा दिया है। बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में इस नए भूमि कानून को मंजूरी दी गई, जिसका उद्देश्य राज्य की “मूल पहचान की रक्षा” करना और वर्षों से चली आ रही सख्त भूमि नियमों की सार्वजनिक मांग को पूरा करना है।
मुख्यमंत्री धामी ने इसे बताया “ऐतिहासिक कदम”
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, जो पिछले साल सितंबर में इस कानून को लाने की मंशा जाहिर कर चुके थे, उन्होंने इसे उत्तराखंड के हित में एक ऐतिहासिक निर्णय बताया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (ट्विटर) पर लिखा,
“राज्य की जनता की लंबे समय से चली आ रही मांग और उनकी भावनाओं का पूर्ण सम्मान करते हुए, आज कैबिनेट ने सख्त भूमि कानून को मंजूरी दी है। यह ऐतिहासिक कदम राज्य के संसाधनों, सांस्कृतिक धरोहर और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करेगा, साथ ही उत्तराखंड की मूल पहचान को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।”
कौन नहीं खरीद सकेगा जमीन?
नए कानून के तहत हरिद्वार और ऊधम सिंह नगर को छोड़कर राज्य के 11 जिलों में बाहरी लोग कृषि और बागवानी भूमि नहीं खरीद सकेंगे। इसके अलावा, जिलाधीशों के पास अब ऐसे भूमि लेन-देन को मंजूरी देने का अधिकार भी नहीं होगा।
इससे पहले:
- वर्तमान नियमों के तहत राज्य के बाहर के लोग नगर पालिका सीमा से बाहर 250 वर्ग मीटर तक की जमीन बिना अनुमति खरीद सकते थे, लेकिन अब इस कानून के लागू होने के बाद यह पूरी तरह से प्रतिबंधित हो जाएगा।
2018 के भूमि कानून में हुए बदलाव के खिलाफ बढ़ता विरोध
उत्तराखंड में भूमि कानून को सख्त बनाने की मांग लंबे समय से चल रही थी। 2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा भूमि खरीद सीमा हटाने के फैसले के बाद से यह मुद्दा और अधिक गरमाने लगा।
- तब सरकार ने भूमि खरीद पर लगी सीमा हटा दी थी, जिससे बाहरी लोगों द्वारा जमीन खरीदने की प्रक्रिया तेज हो गई।
- हालांकि, स्थानीय लोगों ने आशंका जताई कि इस फैसले से राज्य की कृषि भूमि तेजी से बाहरी लोगों के हाथों में जा रही है।
- इसके चलते उत्तराखंड में संस्कृति, पर्यावरण और स्थानीय रोजगार पर असर पड़ने की चिंता जताई जाने लगी।
अब धामी सरकार का यह फैसला 2018 के संशोधन को पलट देगा और राज्य की कृषि भूमि को बाहरी लोगों की खरीद से बचाने में मदद करेगा।
पहले भी लगे थे भूमि खरीद के प्रतिबंध
उत्तराखंड में बाहरी लोगों द्वारा भूमि खरीद पर पहले भी कई बार पाबंदियां लगाई गई थीं।
- 2003 में, तत्कालीन मुख्यमंत्री एन.डी. तिवारी (कांग्रेस) ने बाहरी लोगों के लिए भूमि खरीद की सीमा 500 वर्ग मीटर तय की थी।
- 2008 में, भाजपा के तत्कालीन मुख्यमंत्री बी.सी. खंडूरी ने इसे घटाकर 250 वर्ग मीटर कर दिया था।
अब धामी सरकार के इस फैसले के बाद बाहरी लोग उत्तराखंड में कृषि भूमि नहीं खरीद सकेंगे।
कानून में हुआ बड़ा संशोधन
सरकार द्वारा भूमि कानून को सख्त करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति बनाई गई थी, जिसने जनता की राय और सुझावों के आधार पर यह सिफारिश की।
बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के पूर्व अध्यक्ष और सरकार की समिति के सदस्य अजेन्द्र अजय ने इस फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा,
“कैबिनेट ने जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए भूमि कानून संशोधन विधेयक को मंजूरी दी है। मुख्यमंत्री धामी ने सत्ता संभालने के बाद इस पर गंभीरता से विचार किया और समिति ने जनसुनवाई के बाद यह सिफारिशें दी थीं।”
विधानसभा में पेश होगा विधेयक
अब यह नया भूमि कानून उत्तराखंड विधानसभा के बजट सत्र में पेश किया जाएगा। इसके पास होने के बाद यह कानून प्रभावी रूप से लागू हो जाएगा, जिससे उत्तराखंड की मूल पहचान और संसाधनों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
नए भूमि कानून का प्रभाव:
बाहरी लोग उत्तराखंड की कृषि भूमि नहीं खरीद सकेंगे
जिलाधीशों के पास अनुमति देने का अधिकार नहीं रहेगा
राज्य की भूमि, संस्कृति और पारंपरिक स्वरूप को सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी
2018 में किए गए संशोधन को पूरी तरह पलटा जाएगा
उत्तराखंड सरकार के इस फैसले को राज्य की जनता बाहरी लोगों के अंधाधुंध भूमि अधिग्रहण पर लगाम लगाने के एक बड़े कदम के रूप में देख रही है। अब यह देखना होगा कि यह कानून विधानसभा से पारित होकर कब तक लागू होता है।