सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश पुलिस के महानिदेशक (डीजीपी) को चेतावनी दी है कि अगर ये गलत प्रथा बंद नहीं की गई तो कोर्ट कड़ा आदेश पारित करेगा, जिसे डीजीपी को “पूरा जीवन याद रहेगा।” यह चेतावनी उस वक्त दी गई जब कोर्ट एक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसने अपने खिलाफ दर्ज किए गए कई आपराधिक मामलों के बारे में कहा था कि ये सभी मामले भूमि विवादों से संबंधित हैं और पुलिस उसे और उसके परिवार को परेशान कर रही है।
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि पुलिस ने उसे और उसके परिवार को झूठे मामलों में फंसा रखा है और गिरफ्तारी से बचने के लिए उसने अग्रिम जमानत की मांग की थी। यूपी सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील राणा मुखर्जी ने कहा कि एक ओर आरोपी जांच में शामिल नहीं हो रहा है, वहीं दूसरी ओर वह गिरफ्तारी से सुरक्षा की मांग कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने नाराजगी जताते हुए कहा कि यूपी पुलिस सिविल विवादों में आपराधिक मामले दर्ज कर रही है, जो कि गलत है। कोर्ट ने कहा, “आप डीजीपी से कहिए कि अगर यह प्रथा नहीं रुकी, तो हम कठोर आदेश पारित करेंगे, जो उन्हें जीवनभर याद रहेगा।” कोर्ट ने यह भी कहा कि पुलिस को आरोपी को समन भेजने का आदेश दिया जाए, जिसमें जांच अधिकारी के सामने पेश होने की तारीख, समय और स्थान की जानकारी हो।
कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि आरोपी को किसी नए मामले में या पुराने मामलों में गिरफ्तारी से पहले सुप्रीम कोर्ट की अनुमति लेनी होगी।