नई दिल्ली – यमन में हत्या के मामले में मौत की सज़ा का सामना कर रहीं केरल की नर्स निमिषा प्रिया को लेकर केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि इस मामले में भारत की हस्तक्षेप की सीमा बहुत सीमित है और सरकार अब तक जो कर सकती थी, वह कर चुकी है।
भारत के अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा,
“हम ज्यादा कुछ नहीं कर सकते। यमन की संवेदनशील स्थिति को देखते हुए, वह देश राजनयिक रूप से मान्यता प्राप्त नहीं है। ब्लड मनी (रक्तपात मुआवजा) एक निजी समझौता होता है।”
सुप्रीम कोर्ट ने कहा – सरकार प्रयास कर रही है
मुख्य न्यायाधीश एससी की बेंच ने मामले को शुक्रवार, 18 जुलाई के लिए अगली सुनवाई तक के लिए टाल दिया है और कहा,
“पार्टियां अगली तारीख को अदालत को मामले की वर्तमान स्थिति से अवगत करा सकती हैं।”
न्यायमूर्ति संदीप मेहता ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि अगर निमिषा की जान जाती है, तो यह बहुत दुखद होगा। उन्होंने कहा कि यह एक संवेदनशील मामला है, लेकिन कोर्ट क्या कर सकती है?
क्या है मामला?
37 वर्षीय निमिषा प्रिया, एक भारतीय नर्स हैं जो यमन में एक स्थानीय नागरिक की हत्या के आरोप में दोषी पाई गईं। वहां की ट्रायल कोर्ट ने उन्हें मौत की सज़ा सुनाई थी, जिसे नवंबर 2023 में यमन की सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल ने भी बरकरार रखा।
बचाव का आखिरी रास्ता – ब्लड मनी से समझौता
निमिषा के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि उन्हें बचाने का एकमात्र रास्ता ब्लड मनी समझौता है – यदि मृतक के परिजन इसके लिए तैयार हों। उन्होंने बताया कि निमिषा की मां यमन में मौजूद हैं, लेकिन वह घरेलू सहायिका हैं।
वकील ने कहा,
“हम सरकार से केवल यही अनुरोध कर रहे हैं कि वह मृतक के परिवार से बात करे। फंड जुटाने की जिम्मेदारी हमारी है। फिलहाल मौत की सज़ा टालने का एकमात्र तरीका परिवार को मनाना है।”
सरकार की भूमिका सीमित, लेकिन कोशिशें जारी
अटॉर्नी जनरल ने अदालत को बताया कि यमन में स्थानीय अभियोजक से बातचीत चल रही है, ताकि फांसी की तारीख टाली जा सके और ब्लड मनी समझौते के लिए समय मिल सके। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि
“यह मामला बेहद जटिल है और हमें यह भी नहीं पता कि वहां क्या हो रहा है। हम हर संभव प्रयास कर रहे हैं।”
केरल के मुख्यमंत्री का प्रधानमंत्री को पत्र
इससे पहले केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर निमिषा प्रिया के जीवन को बचाने के लिए हस्तक्षेप की मांग की थी। उन्होंने लिखा:
“मुझे मीडिया से जानकारी मिली है कि निमिषा प्रिया की फांसी 16 जुलाई 2025 को तय की गई है। यह मामला सहानुभूति योग्य है और मैं प्रधानमंत्री से आग्रह करता हूं कि वे संबंधित अधिकारियों से संपर्क कर उनकी जान बचाने की कोशिश करें।”
निमिषा प्रिया का मामला न केवल कानूनी और कूटनीतिक पेचिदगियों से जुड़ा है, बल्कि यह एक मानवीय पहलू भी रखता है। सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई और केंद्र सरकार की बातचीत की दिशा ही अब उनके भविष्य का फैसला करेगी।