भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के तमिलनाडु इकाई के प्रमुख के. अन्नामलाई ने सुपरस्टार थलपति विजय द्वारा अपनी राजनीतिक पार्टी, “तमिलगा वेत्री कझगम” (TVK) की स्थापना करने के फैसले पर टिप्पणी की है। अन्नामलाई ने हाल ही में एक साक्षात्कार में कहा कि विजय का राजनीतिक कदम स्पष्ट रूप से सत्ताधारी द्रविड़ मुनेत्र कझगम (DMK) को असहज कर रहा है, क्योंकि पार्टी इसे अपनी वोट बैंक के लिए खतरे के रूप में देख रही है।
अन्नामलाई ने कहा, “विजय की राजनीतिक एंट्री से DMK परेशान है और उनकी छवि को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। हो सकता है कि उन्हें डर हो कि विजय उनकी वोट बैंक में सेंध लगा सकते हैं। हालांकि, यह कहना अभी जल्दबाजी होगा क्योंकि विजय ने अपनी पार्टी की शुरुआत के बाद अब तक किसी बड़े स्तर पर सक्रियता नहीं दिखाई है।”
इस साल अक्टूबर में विजय ने अपनी पार्टी TVK की घोषणा की थी और लगभग 3 लाख समर्थकों के बीच एक बड़े भाषण में कहा था कि उनकी पार्टी पेरियार के ईश्वर विरोधी विचारों को नहीं अपनाएगी, लेकिन उनके सामाजिक न्याय और महिला सशक्तिकरण के विचारों को आगे बढ़ाएगी। उन्होंने यह भी कहा था, “जैसा कि अन्नादुराई (DMK के संस्थापक) ने कहा था, ‘सभी एक हैं और एक ही ईश्वर हैं’, यही हमारा सिद्धांत है।”
अन्नामलाई का यह दावा कि DMK विजय के राजनीति में आने से चिंतित है, कोई नया नहीं है। विजय ने अपनी पार्टी के शुभारंभ भाषण में DMK के उत्तराधिकारी उदयनिधि स्टालिन पर हमला किया और पार्टी को भ्रष्टाचार और वंशवाद की राजनीति पर निशाना साधा था। विजय ने कहा था कि DMK और TVK की राजनीति में फर्क है और वह पार्टी को उसके कथित पाखंड के लिए आलोचना कर रहे थे।
विशेषज्ञों के अनुसार, विजय के पेरियार के प्रति श्रद्धा में उनके “ईश्वर विरोधी” दृष्टिकोण से परहेज करने से, वे DMK के कुछ वोटरों को अपनी ओर आकर्षित कर सकते हैं।
चेन्नई के वित्तीय विशेषज्ञ डी. मुथुकृष्णन ने भी विजय की पार्टी के लॉन्च के बाद लिखा था कि “DMK कुछ हिस्से अपने अज्ञेयवादी और ब्राह्मण-विरोधी विचारों के लिए जाने जाते हैं। कोई अन्य पार्टी जो महत्वपूर्ण वोट शेयर रखती है, वह इस विचारधारा को नहीं अपनाती। विजय ने भी पेरियार को आदर्श माना है, लेकिन वह स्पष्ट रूप से अज्ञेयवाद और ब्राह्मणवाद से दूर रहेंगे।”
अन्नामलाई की इस टिप्पणी से यह साफ है कि विजय के कदम ने तमिलनाडु की राजनीतिक स्थिति में एक नया मोड़ ला दिया है, और DMK को अपनी विचारधारा पर पुनः विचार करने का दबाव बना दिया है।