Thailand-Cambodia War: थाईलैंड-कंबोडिया सीमा पर क्यों हो रहा है हिंदू मंदिर को लेकर विवाद, UN तक पहुंचा मामला

Thailand-Cambodia War: थाईलैंड-कंबोडिया सीमा पर क्यों हो रहा है हिंदू मंदिर को लेकर विवाद, UN तक पहुंचा मामला
Thailand-Cambodia War: थाईलैंड-कंबोडिया सीमा पर क्यों हो रहा है हिंदू मंदिर को लेकर विवाद, UN तक पहुंचा मामला

सुरिन (थाईलैंड): थाईलैंड और कंबोडिया के बीच हिंदू मंदिर को लेकर दशकों पुराना विवाद एक बार फिर खूनी संघर्ष में तब्दील हो गया है। सीमा पर प्राचीन मंदिर प्रेह विहेयर और ता मुएन थोम को लेकर दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने आ गई हैं। कंबोडिया की ओर से रॉकेट दागे जाने के बाद थाईलैंड ने एफ-16 लड़ाकू विमानों से एयरस्ट्राइक की, जिसमें अब तक कम से कम 14 लोगों की मौत हो चुकी है। मृतकों में बच्चे और नागरिक भी शामिल हैं, जबकि 40 से अधिक लोग घायल बताए जा रहे हैं।

गुरुवार को सीमा के छह इलाकों में हुई झड़पों के बाद दोनों देशों ने एक-दूसरे पर संघर्ष शुरू करने का आरोप लगाया है। इस तनाव के बीच हजारों लोगों ने अपने घर छोड़कर राहत शिविरों में शरण ली है। थाईलैंड ने सीमा से 50 किलोमीटर के दायरे तक लोगों को हटाने का आदेश दिया है।

तनाव की शुरुआत एक लैंडमाइन विस्फोट से हुई थी, जिसमें थाईलैंड के 5 सैनिक घायल हुए थे। इसके बाद थाईलैंड ने कंबोडिया पर हमला करने का निर्णय लिया और राजनयिक स्तर पर भी दोनों देशों ने अपने-अपने दूतों को वापस बुला लिया।

कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन मानेट ने इस संघर्ष को “थाई आक्रमण” करार देते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से आपात बैठक की मांग की है। जवाब में थाईलैंड ने इसे “आत्मरक्षा” बताते हुए कार्रवाई को उचित ठहराया है।

इस पूरे विवाद की जड़ 11वीं सदी के प्राचीन शिव मंदिर प्रेह विहेयर को लेकर है, जो कि डांगरेक पर्वतमाला की चोटी पर स्थित है। मंदिर की भौगोलिक स्थिति इसे दोनों देशों के दावे का केंद्र बना देती है। 1962 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने मंदिर को कंबोडिया का हिस्सा घोषित किया था, जिसे थाईलैंड ने मान लिया था, लेकिन आसपास की 4.6 वर्ग किमी जमीन को लेकर विवाद बना रहा।

2008 में यूनेस्को द्वारा मंदिर को विश्व धरोहर घोषित किए जाने के बाद से संघर्ष और गहरा गया। 2008 से 2011 तक मंदिर क्षेत्र को लेकर कई बार सैन्य झड़पें हुई थीं। अब एक बार फिर यह विवाद न केवल दोनों देशों की सेनाओं को आमने-सामने ले आया है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच तक भी पहुंच गया है।

राजनीतिक स्तर पर भी इसका असर दिखने लगा है। थाई प्रधानमंत्री पेतोंगटार्न शिनावात्रा पहले ही नैतिक उल्लंघन की जांच के चलते निलंबित हो चुके हैं। उधर कंबोडियाई रक्षा मंत्रालय का कहना है कि उनका हमला सिर्फ सैन्य ठिकानों पर केंद्रित था और वे अपनी सीमा की रक्षा कर रहे हैं।

दोनों देशों में बौद्ध धर्म के अनुयायियों की संख्या 90 प्रतिशत से अधिक है, लेकिन यह संघर्ष दर्शाता है कि सांस्कृतिक धरोहरों को लेकर क्षेत्रीय तनाव किस कदर विकराल रूप ले सकता है।