भोपाल: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में एक परिवार न्यायालय के फैसले को बरकरार रखते हुए क्रूरता के आधार पर तलाक को सही ठहराया। अदालत ने कहा कि पति अपनी पत्नी द्वारा पूर्व प्रेमियों और पुरुष मित्रों से अश्लील बातचीत को सहन नहीं कर सकता।
अदालत का फैसला
न्यायमूर्ति विवेक रूसिया और गजेन्द्र सिंह की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि शादीशुदा व्यक्ति को मोबाइल या अन्य माध्यमों से बातचीत करने की स्वतंत्रता है, लेकिन ऐसी बातचीत गरिमापूर्ण और मर्यादित होनी चाहिए।
- अदालत ने कहा, “कोई भी पति यह सहन नहीं करेगा कि उसकी पत्नी मोबाइल पर इस तरह की अश्लील बातचीत करे।”
- अदालत ने आगे जोड़ा कि यदि कोई व्यक्ति अपने जीवनसाथी की आपत्ति के बावजूद इस व्यवहार को जारी रखता है, तो इसे “मानसिक क्रूरता” माना जाएगा।
क्या है मामला?
यह मामला एक पति द्वारा दर्ज की गई शिकायत से शुरू हुआ, जिसमें उसने पत्नी पर शादी के बाद भी अपने पूर्व प्रेमियों से आपत्तिजनक बातचीत जारी रखने का आरोप लगाया।
- पति ने व्हाट्सएप संदेशों के माध्यम से यह दावा किया कि पत्नी की चैटिंग अभद्र और अश्लील थी।
- वहीं, पत्नी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उसके पति ने उसका फोन हैक कर लिया था और झूठे सबूत गढ़े।
- पत्नी ने गोपनीयता के उल्लंघन का भी आरोप लगाया और दावा किया कि पति ने दहेज के रूप में ₹25 लाख की मांग की थी।
पत्नी के पिता की गवाही बनी आधार
हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए पाया कि पति के आरोपों में सच्चाई है। खासकर पत्नी के पिता की गवाही ने इस मामले को और मजबूत कर दिया।
- पत्नी के पिता ने अदालत में स्वीकार किया कि उनकी बेटी अक्सर पुरुष मित्रों से बात करती थी।
- इस आधार पर अदालत ने निचली अदालत के तलाक के फैसले को सही ठहराया।
इस फैसले के बाद यह स्पष्ट हो गया कि वैवाहिक संबंधों में पारदर्शिता और सम्मान जरूरी है। अदालत ने कहा कि यदि कोई साथी अपने जीवनसाथी की भावनाओं की अनदेखी करते हुए अनुचित व्यवहार जारी रखता है, तो इसे मानसिक क्रूरता माना जाएगा और तलाक का आधार बन सकता है।