
प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद अशोका यूनिवर्सिटी के एक प्रतिष्ठित शिक्षक हैं, जिन्होंने हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और कर्नल सोफिया से संबंधित मामलों पर सार्वजनिक रूप से सवाल उठाए थे। उनकी इन टिप्पणियों के कारण राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर विवाद उत्पन्न हुआ, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें गिरफ्तार किया गया। यह गिरफ्तारी अकादमिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बहस का कारण बनी है।
विवाद और गिरफ्तारी
प्रोफेसर महमूदाबाद ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और कर्नल सोफिया के मामलों पर अपने विचार साझा किए थे, जिससे कुछ लोगों ने उनकी टिप्पणियों को आपत्तिजनक माना। हरियाणा राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेनू भाटिया ने उनकी सोशल मीडिया पोस्ट की आलोचना की और आयोग के समन के बावजूद उनकी पेशी न होने पर विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। इसके परिणामस्वरूप पुलिस ने प्रोफेसर महमूदाबाद के खिलाफ एफआईआर दर्ज की और उन्हें गिरफ्तार किया। हरियाणा के सोनीपत की यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को जिला न्यायालय ने न्यायिक हिरासत में भेज दिया. मामले की अगली सुनवाई 27 मई है. प्रोफेसर अली खान को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था. हरियाणा पुलिस ने अदालत से प्रोफेसर अली खान की 7 दिन की पुलिस रिमांड मांगी थी. हालांकि कोर्ट ने पुलिस रिमांड न देते हुए प्रोफेसर खान को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.
अकादमिक और सामाजिक योगदान
प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद एक प्रतिष्ठित शिक्षाविद् हैं, जिन्होंने लंबे समय से सामाजिक और अकादमिक विषयों पर मुखर रहे हैं। उनकी गिरफ्तारी के बाद, पूर्व सांसद रितेश पांडेय ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उनके समर्थन में आवाज उठाई है। उन्होंने कहा कि प्रोफेसर महमूदाबाद एक विद्वान और सजग नागरिक हैं, जिनकी गिरफ्तारी न्याय के प्रावधानों के विरुद्ध प्रतीत होती है।
प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद का यह मामला अकादमिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के महत्व को उजागर करता है। उनकी गिरफ्तारी ने समाज में इस विषय पर गहरी चर्चा और बहस को जन्म दिया है, जो लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए आवश्यक है।