नई दिल्ली: ईरान और इज़राइल के बीच चल रही जंग में अमेरिका की सक्रिय एंट्री के बाद पश्चिम एशिया में हालात बेहद तनावपूर्ण हो गए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निर्देश पर अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हमला कर दिया है। इसके बाद ईरान की ओर से होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने की आशंका ने पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया है।
होर्मुज स्ट्रेट का वैश्विक महत्व
होर्मुज जलडमरूमध्य को दुनिया के सबसे अहम ऊर्जा गलियारों में से एक माना जाता है। यह मार्ग फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी और अरब सागर से जोड़ता है। दुनिया का लगभग 20% तेल और गैस ट्रांसपोर्ट इसी रूट से होता है। प्रतिदिन लगभग 2 करोड़ बैरल तेल और करीब 3,000 जहाज इस मार्ग से गुजरते हैं। यह पेट्रोलियम निर्यातक देशों (OPEC) – सऊदी अरब, ईरान, यूएई, कुवैत और इराक – के लिए मुख्य निर्यात मार्ग है, विशेषकर एशिया के लिए।
होर्मुज बंद हुआ तो क्या होगा असर?
अगर ईरान इस जलमार्ग को बंद कर देता है तो वैश्विक आपूर्ति ठप हो सकती है। इससे तेल-गैस की कीमतों में तेज़ उछाल आएगा और पूरी दुनिया गंभीर महंगाई की चपेट में आ जाएगी। अमेरिका, यूरोप, भारत और चीन सहित सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित होंगी। इसके अलावा, ईरान की भी अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका लगेगा, क्योंकि उसका बड़ा हिस्सा तेल निर्यात पर निर्भर करता है।
अमेरिका और खाड़ी देशों पर असर
होर्मुज स्ट्रेट को बंद करना अमेरिका के लिए सीधी चुनौती होगी। इससे ट्रंप प्रशासन पर महंगाई का दबाव बढ़ेगा। खाड़ी देशों के हित भी खतरे में पड़ सकते हैं, जिससे क्षेत्रीय युद्ध की आशंका और बढ़ जाएगी।
चीन पर सबसे बड़ा असर
ईरान अपने तेल का 90% हिस्सा चीन को निर्यात करता है। अगर होर्मुज बंद होता है, तो चीन की ऊर्जा आपूर्ति पर जबरदस्त असर पड़ेगा, जिससे वैश्विक सप्लाई चेन बाधित होगी और आर्थिक अस्थिरता और बढ़ेगी।
भारत की तैयारी क्या है?
भारत के केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने आश्वस्त किया है कि भारत स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए है। उन्होंने बताया कि भारत प्रतिदिन करीब 5.5 मिलियन बैरल कच्चा तेल खपत करता है, जिसमें से 1.5–2 मिलियन बैरल तेल होर्मुज जलडमरूमध्य के जरिये आता है। सरकार ने अन्य वैकल्पिक स्रोतों से आपूर्ति की तैयारी कर ली है और तेल कंपनियों के पास 3 से 4 सप्ताह का स्टॉक मौजूद है।
कहां है होर्मुज जलडमरूमध्य?
यह जलडमरूमध्य ईरान और ओमान के बीच स्थित है। यह उत्तर में फारस की खाड़ी को दक्षिण में ओमान की खाड़ी और अरब सागर से जोड़ता है। अपने सबसे संकरे बिंदु पर इसकी चौड़ाई केवल 33 किमी है, जबकि शिपिंग लेन महज 3 किमी चौड़ी है।
अमेरिका की ओर से ईरान पर हमले के बाद वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की आपूर्ति पर संकट गहराने लगा है। होर्मुज स्ट्रेट का बंद होना न केवल आर्थिक आपूर्ति शृंखलाओं को तोड़ सकता है, बल्कि इससे वैश्विक महंगाई और राजनीतिक अस्थिरता भी पैदा हो सकती है। भारत सहित तमाम देश इस संकट से निपटने के लिए रणनीति बना रहे हैं, लेकिन भविष्य का निर्धारण अब ईरान के अगले कदम पर निर्भर करेगा।