नई दिल्ली: अमेरिका के दावों को खारिज करते हुए भारत के वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने संसदीय पैनल को जानकारी दी है कि भारत ने अमेरिकी वस्तुओं पर व्यापार शुल्क घटाने की कोई सहमति नहीं दी है। उनका यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावे के विपरीत आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत जल्द ही अपने आयात शुल्क में बड़ी कटौती करेगा।
अमेरिका के दावों पर भारत की सफाई
बर्थवाल ने स्पष्ट किया कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता अभी जारी है और किसी भी प्रकार की अंतिम सहमति नहीं बनी है। उन्होंने कहा, “अमेरिकी राष्ट्रपति के दावों या मीडिया रिपोर्टों के आधार पर कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता, क्योंकि द्विपक्षीय व्यापार वार्ता अभी भी जारी है। भारत ने अमेरिका को किसी भी व्यापार शुल्क में कटौती का आश्वासन नहीं दिया है।”
व्यापार उदारीकरण पर भारत का संतुलित रुख
भारत मुक्त व्यापार और व्यापार उदारीकरण का समर्थन करता है, लेकिन बर्थवाल ने आगाह किया कि प्रमुख घरेलू क्षेत्रों में शुल्क में मनमानी कटौती भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकती है और संभावित रूप से मंदी का कारण बन सकती है। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देते हुए ही व्यापार समझौतों पर चर्चा करता है।
ट्रंप का भारत पर हमला
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत की व्यापार नीतियों पर कड़ा रुख अपनाते हुए इसे “रूढ़िवादी और प्रतिबंधात्मक” बताया था। उन्होंने कहा था, “भारत में कुछ भी बेचना असंभव है, उनके टैरिफ बहुत ज्यादा हैं। लेकिन अब वे इन्हें घटाने के लिए तैयार हैं, क्योंकि अब दुनिया उनकी नीतियों को समझ रही है।”
भारत का जवाब
बर्थवाल ने कहा कि भारत, कनाडा और मैक्सिको जैसे देशों की तरह अमेरिकी टैरिफ नीतियों पर सवाल उठाएगा, लेकिन बिना अपने आर्थिक हितों को नुकसान पहुंचाए। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि भारत ने अमेरिका से सितंबर 2025 तक का समय मांगा है ताकि इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा की जा सके।
ट्रंप की व्यापार नीति और भारत पर असर
डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में कई देशों, जिसमें भारत भी शामिल है, पर प्रतिशोधी टैरिफ लगाए हैं। हालांकि, भारत ने स्पष्ट किया है कि कोई भी व्यापार समझौता राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए ही किया जाएगा।
अब देखना होगा कि अमेरिका और भारत के बीच व्यापार वार्ता किस दिशा में आगे बढ़ती है और क्या दोनों देशों के बीच कोई संतुलित समझौता हो पाता है या नहीं।