Russia के सबसे बड़े हवाई हमले में Ukraine F-16 पायलट शहीद, ज़ेलेंस्की बोले, ‘हीरो की तरह मरे’

रूस के सबसे बड़े हवाई हमले में यूक्रेनी F-16 पायलट शहीद, ज़ेलेंस्की बोले, 'हीरो की तरह मरे'
रूस के सबसे बड़े हवाई हमले में यूक्रेनी F-16 पायलट शहीद, ज़ेलेंस्की बोले, 'हीरो की तरह मरे'

यूक्रेन के 31 वर्षीय Lieutenant Colonel Maksym Ustymenko, एक अमेरिकी निर्मित F‑16 लड़ाकू विमान उड़ाते हुए, रूस द्वारा किए गए अब तक के सबसे बड़े हवाई हमले में शहीद हो गए। इस हमले में रूस ने एक ही रात में 537 हवाई हथियारों का इस्तेमाल किया, जिनमें 477 ड्रोन और 60 मिसाइलें शामिल थीं।

उस्तिमेंको ने सात रूसी हवाई लक्ष्यों को तबाह करने के बाद जब उनका विमान क्षतिग्रस्त हो गया, तब भी उन्होंने वहात्य क्षेत्र से विमानों को दूर मोड़ दिया—जिससे संभवतः एक आवासीय इलाक़े में भारी तबाही टल गई। हालांकि, वे उड़ान से बाहर निकलने (eject) के लिए समय नहीं निकाल सके और उसी दौरान जीवन यात्र खत्म हुआ।

यूक्रेनी वायुसेना ने कहा कि आक्रामक हमले के दौरान हमने 436 ड्रोन और 38 मिसाइलें नष्ट कीं, जबकि अन्य या भ्रष्टाचार (jamming) से गायब हो गईं या डेकॉय निकलीं। बावजूद इसके कुछ प्रोजेक्टाइल बचे रह गए और कई शहरोंजैसे चेर्कासी, ड्रोहोब्यिच, लविव, में जान-माल का नुकसान हुआ। कम से कम 12 लोग घायल हुए, जिनमें कुछ बच्चे शामिल हैं, और प्रदूषण, विद्युत कटौती, भवन क्षति जैसे परिणाम हुए।

राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने मरणोपरांत उस्तिमेंको को ‘हीरो ऑफ यूक्रेन’ की उच्चतम सम्मान से विभूषित किया। उन्होंने कहा कि उनके बहादुर प्रयासों ने यूक्रेनी आसमान को बचाया और दुनिया को जंगल की तरह हमलों की गहराई दिखायी। राष्ट्रपति ने पश्चिमी देशों—विशेषकर अमेरिका, से आक्रमण रोकने के लिए ‘पैट्रियट’ मिसाइल रक्षा प्रणाली तत्काल उपलब्ध कराने का आग्रह किया।

रूस ने इस हमले को एक बड़ी सैन्य कार्रवाई बताया है, जिसमें ‘किन्जाल’ जैसी आधुनिक हाइपरसोनिक मिसाइलों का भी इस्तेमाल हुआ। यूक्रेनी वायुसेना की एकता और दक्षता यह दर्शाती है कि F-16 जैसे लड़ाकू विमानों से ऐसे हमलों का मुकाबला करना बेहद चुनौतीपूर्ण और जोखिम भरा होता है, खासकर जब एक साथ सैकड़ों ड्रोन हमला करते हैं।

कुल मिलाकर, यह घटना यूक्रेन-रूस युद्ध में हवाई सुरक्षा की कमजोर स्थिति को उजागर करती है। यह सिर्फ एक वीर सैनिक के बलिदान की प्रेरक कहानी नहीं है, बल्कि नाटो और पश्चिमी देशों के लिए एक याद दिलाने वाली चेतावनी भी है कि यूक्रेन को तुरंत सैन्य मदद और आधुनिक रक्षा प्रणाली की ज़रूरत है। उस्तिमेंको का बलिदान याद दिलाता है, यह युद्ध केवल सीमा संघर्ष नहीं, बल्कि प्रौद्योगिकी, रणनीति और मानवीय इच्छाशक्ति की लड़ाई है।


Digikhabar Team
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