उत्तराखंड में 27 जनवरी 2025 से समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code – UCC) लागू हो गया, और इसे लेकर देशभर में चर्चा हो रही है। इंफोसिस के पूर्व सीएफओ मोहनदास पई ने इस कदम को भारत के लिए ऐतिहासिक बताया है। पई ने इसे संविधान के उस वादे की पूर्ति कहा, जो समानता, समान कानून और सभी महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए किया गया था।
उन्होंने कहा, “आज भारत के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। 75 साल बाद, हमारे गणराज्य में सभी के लिए समानता का सपना सच हो रहा है।” पई ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को इस पहल के लिए बधाई दी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस दिशा में कदम उठाने का आग्रह किया।
UCC का उद्देश्य और महत्व
उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है जिसने समान नागरिक संहिता को लागू करने का साहसिक कदम उठाया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे समाज में समानता लाने और जाति, धर्म, और लिंग के आधार पर भेदभाव करने वाले निजी कानूनों को खत्म करने का प्रयास बताया।
धामी ने कहा, “समान नागरिक संहिता हमारे राज्य की ओर से प्रधानमंत्री द्वारा देश को एक संगठित, समृद्ध और आत्मनिर्भर बनाने के लिए किए जा रहे ‘महायज्ञ’ में दी गई आहुति है।”
UCC के तहत शादी, तलाक, उत्तराधिकार, और संपत्ति जैसे व्यक्तिगत मामलों को एकसमान कानून के तहत लाया जाएगा। इसके साथ ही, शादी और लिव-इन रिलेशनशिप की पंजीकरण प्रक्रिया अनिवार्य कर दी गई है।
UCC लागू करने की प्रक्रिया
यह कानून 12 मार्च 2024 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद अधिसूचित किया गया था। मुख्यमंत्री धामी ने इसे उत्तराखंड के रजत जयंती समारोह के हिस्से के रूप में जनवरी 2025 तक लागू करने का वादा किया था। हाल ही में, राज्य कैबिनेट ने इसके लिए नियम और विनियमों को मंजूरी दी।
राजनीतिक और सामाजिक महत्व
समान नागरिक संहिता लंबे समय से बीजेपी के एजेंडे का हिस्सा रही है, लेकिन उत्तराखंड पहला राज्य है जिसने इसे लागू करने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। मुख्यमंत्री धामी ने इसे “UCC की गंगोत्री” बताया, जो देश के बाकी हिस्सों में भी फैलेगी।
UCC का कार्यान्वयन उत्तराखंड सरकार के लिए 2022 विधानसभा चुनाव के दौरान किए गए एक प्रमुख वादे को पूरा करता है। यह कदम न केवल राज्य के लिए एक मील का पत्थर है, बल्कि अन्य बीजेपी शासित राज्यों के लिए भी एक उदाहरण प्रस्तुत करता है।
यह बदलाव भारतीय समाज में समानता और न्याय को सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है और यह भविष्य में देशभर में कानूनों को एकसमान बनाने की संभावनाओं को उजागर करता है।